सार

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का 79 साल की उम्र में निधन (Pervez Musharraf passes away) हो गया। वह एमाइलॉयडोसिस नाम की बीमारी से पीड़ित थे। दुबई के अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का निधन हो गया है। उन्होंने 79 साल की उम्र में दुबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। जनरल (सेवानिवृत्त) परवेज मुशर्रफ लंबे समय से बीमार चल रहे थे। परवेज मुशर्रफ की मौत एमाइलॉयडोसिस नाम की बीमारी के चलते हुई है। इस बीमारी में अंगों में एमिलॉयड नामक प्रोटीन का निर्माण होता है। इससे शरीर के अंग ठीक तरह से काम नहीं कर पाते हैं। 

मुशर्रफ ने 1999 में किया था तख्तापलट
मुशर्रफ ने 1999 के सैन्य तख्तापलट कर पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। नौ साल बाद बड़े पैमाने पर विरोध के चलते उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। 2016 में देशद्रोह के मुकदमे के बीच स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने पाकिस्तान छोड़ दिया था। इसके बाद से उन्होंने अपना अधिकांश समय यूनाइटेड किंगडम और मध्य पूर्व में बिताया।

मुशर्रफ लौटना चाहते थे पाकिस्तान
मुशर्रफ पाकिस्तान लौटना चाहते थे। उन्होंने पिछले साल जुलाई में पाकिस्तान लौटने और अपना शेष जीवन वहीं बिताने की इच्छा व्यक्त की थी। सेना ने इसके लिए समर्थन व्यक्त किया था, लेकिन सरकार को यह मंजूर नहीं था।

मुशर्रफ को कोर्ट ने दी थी फांसी की सजा
मुशर्रफ ने मार्च 2013 में आम चुनाव लड़कर पाकिस्तान की सत्ता में वापसी की कोशिश की थी, लेकिन चुनाव हार गए थे। 2014 में उनके खिलाफ पाकिस्तान की कोर्ट में राजद्रोह का मुकदमा शुरू हुआ था। तीन साल बाद मुशर्रफ को देश से बाहर जाने की अनुमति मिली थी। इसे नवाज शरीफ की सरकार का सेना के सामने समर्पण के रूप में देखा गया था। दिसंबर 2019 में स्पेशल कोर्ट ने मुशर्रफ को उनकी अनुपस्थिति में फांसी की सजा सुनाई थी। उन्हें यह सजा नवंबर 2007 में आपातकाल की स्थिति लागू करने और संविधान को निलंबित करने के लिए दी गई थी।

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मुशर्रफ के चलते हुई थी कारगिल की लड़ाई
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की लड़ाई मुशर्रफ के चलते हुई थी। 2001 से 2008 के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति रहने से पहले मुशर्रफ आर्मी चीफ थे। उन्होंने 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों को और आतंकियों को LOC को पार भेजा था। इनलोगों ने कारगिल की चोटियों कब्जा कर बंकर बना लिए थे। उन्होंने पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जानकारी दिए बिना कारगिल में घुसपैठ करवाई थी। भारत के जांबाज सैनिकों ने दुश्मन से जंग कर कारगिल को मुक्त कराया था। इस जंग में भारत के 562 सैनिकों ने बलिदान दिया था। वहीं, 3 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक और आतंकी मारे गए थे। यह जंग 73 दिनों तक चली थी। इसे ‘ऑपरेशन विजय’ के नाम से जाना जाता है।

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