डोनॉल्ड ट्रंप के G20 समिट में शामिल न होने से बड़ा भू-राजनीतिक संकेत मिला है। PM मोदी जोहान्सबर्ग में क्लाइमेट चेंज, मिनरल्स और AI जैसे मुद्दों पर भारत का एजेंडा आगे बढ़ाएँगे। US की गैरमौजूदगी में क्या भारत G20 में नई नेतृत्व भूमिका निभा पाएगा?
G20 Summit 2025: G20 समिट 2025 इस बार कई वजहों से चर्चा में है—पहली बार अफ्रीका में आयोजन, दुनिया के कई बड़े देशों का मिलना और उससे भी बड़ा मुद्दा-अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इसमें शामिल होने से मना करना। ट्रंप के अचानक पीछे हटने के फैसले ने इस समिट को और ज्यादा सस्पेंसफुल बना दिया है। वहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार सुबह ही जोहान्सबर्ग के लिए रवाना हो चुके हैं और भारत का एजेंडा दुनिया के सामने रखने की तैयारी में हैं। क्या ट्रंप का न आना भारत के लिए मौके के रूप में उभरेगा या चुनौती बनेगा?
G20 में ट्रंप की गैरमौजूदगी-क्या ग्लोबल पावर बैलेंस बदल रहा है?
7 नवंबर को ट्रंप ने घोषित किया कि इस साल साउथ अफ्रीका में होने वाले G20 समिट में कोई भी US अधिकारी शामिल नहीं होगा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका पर गोरे किसानों के साथ गलत बर्ताव के आरोप लगाए और इसी बहाने पूरे इवेंट से दूरी बना ली। साउथ अफ्रीका ने इन आरोपों को "हैरान करने वाला और गलत" बताया, लेकिन विवाद यहीं से शुरू हो गया। G20 जैसी बड़ी ग्लोबल मीटिंग में US का न होना कई देशों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है।
PM मोदी की मौजूदगी क्यों बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है?
इस समिट में PM नरेंद्र मोदी तीन सबसे महत्वपूर्ण सेशनों में बोलेंगे-
- क्लाइमेट चेंज का खतरा
- जरूरी मिनरल्स (Critical Minerals)
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का बढ़ता प्रभाव
इन सभी विषयों पर भारत की आवाज दुनिया काफी गंभीरता से सुन रही है।
खास बात यह है कि पिछले दो ग्लोबल इवेंट-ASEAN समिट और मिस्र का गाजा पीस समिट में मॉडर्न ने हिस्सा नहीं लिया था, जबकि ट्रंप मौजूद थे। इससे यह माना जाने लगा था कि भारत-US ट्रेड डील पर सहमति होने तक मोदी और ट्रंप की मुलाकात टली रहेगी। भारत और US के बीच बातचीत जारी है, लेकिन भारत ने साफ कहा है-जल्दीबाज़ी नहीं, फायदा ज़रूरी।
G20 में भारत का असली एजेंडा क्या है?
PM मोदी जिन तीन सेशनों में बोलेंगे, उनमें शामिल हैं-
1. Inclusion & Sustainable Economic Growth-कोई पीछे न छूटे
- ग्लोबल इकोनॉमी
- ट्रेड
- फाइनेंसिंग
- कर्ज की दिक्कतें
2. A Resilient World-आपदाओं से निपटने की नई तैयारी
- क्लाइमेट चेंज
- एनर्जी ट्रांज़िशन
- फूड सिस्टम सुधार
3. A Just Future for All-AI और मिनरल्स का भविष्य
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
- क्रिटिकल मिनरल्स
- ग्लोबल जॉब्स का भविष्य
इसके साथ ही प्रधानमंत्री IBSA समिट में भी हिस्सा लेंगे और दक्षिण अफ्रीका में बसे भारतीय समुदाय से भी मिलेंगे।
क्या US के न आने से भारत का ग्लोबल रोल और मजबूत होगा?
यह समिट इसलिए खास है क्योंकि जहां US ने दूरी बना ली, वहीं भारत ने अपनी उपस्थिति मजबूत की है। कई एक्सपर्ट मानते हैं कि यह साल भारत के लिए बड़ी डिप्लोमैटिक जीत साबित हो सकता है।


