तेल खरीद मामले पर जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों की एक बैठक हुई, जिसमें रूस पर ज्यादा सैंक्शन के साथ ही उससे तेल खरीदने वाले देशों पर और अधिक टैरिफ बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने कहा-अकेले रूस को रोकना मुश्किल है। 

वॉशिंगटन। जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों ने शुक्रवार को एक बैठक में रूस पर और प्रतिबंधों के अलावा उन देशों पर और ज्यादा टैरिफ लगाने पर चर्चा की, जिन्हें वे यूक्रेन में रूस के युद्ध को मजबूत बनाने वाला मानते हैं। इसके साथ ही अमेरिका ने अपने सहयोगियों से रूस से तेल खरीदने वालों पर ज्यादा टैरिफ लगाने को कहा है। बता दें कि जी-7 देशों की ये बैठक यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को खत्म करने के लिए रूस पर अतिरिक्त दबाव बढ़ाने पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता कनाडा के वित्त मंत्री फ्रांस्वा-फिलिप शैम्पेन ने की।

किसी एक के प्रयास से रूस को रोक पाना नामुमकिन

अमेरिका के वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने वित्त मंत्रियों से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ लगाने में अमेरिका के साथ शामिल होना चाहिए। ये बात बेसेन्ट और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर ने बैठक के बाद एक अलग बयान में कही। बेसेंट और ग्रीर ने कहा, "केवल किसी एक के प्रयास से हम रूस द्वारा यूक्रेन में की जा रही हत्याओं को रोकने के लिए पर्याप्त आर्थिक दबाव नहीं डाल पाएंगे। यूक्रेन की रक्षा के लिए हमें रूस पर ज्यादा से ज्यादा प्रतिबंध लगाने के साथ ही मिलकर काम करना होगा।

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इससे पहले, अमेरिकी वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने G7 और यूरोपीय संघ के सहयोगियों से चीन और भारत से आने वाले सामानों पर ज्यादा टैरिफ लगाने का आह्वान किया ताकि उन पर रूसी तेल की खरीद बंद करने का दबाव बनाया जा सके। बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आयात पर अतिरिक्त 25% शुल्क लगाया है ताकि रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद को रोकने का दबाव बनाया जा सके। बता दें कि अमेरिका भारतीय सामानों पर फिलहाल 50% टैरिफ वसूल रहा है।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को पहले कहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ उनका धैर्य खत्म हो रहा है। ट्रम्प ने युद्ध को रोकने में पुतिन की विफलता पर निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि बैंकों और तेल पर प्रतिबंध ही रूस पर दबाव बढ़ाने का एक विकल्प है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यूरोपीय देशों को भी इसमें भाग लेने की जरूरत है।

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