पाकिस्तान के सिंध में, एक हिंदू युवक को ढाबे पर खाने के लिए बेरहमी से पीटा गया। उसे बांधकर पीटा और 60,000 रुपये लूटे गए। 7 लोगों पर FIR के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न को उजागर करता है।
कोटड़ी (पाकिस्तान): सिंध के कोटड़ी में सांप्रदायिक और जाति-आधारित भेदभाव की एक परेशान करने वाली घटना सामने आई है। यहां हिंदू बागरी समुदाय के एक युवक को एक स्थानीय ढाबे पर खाना खाने पर बेरहमी से पीटा गया। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, पीड़ित, जिसकी पहचान दौलत बागरी के रूप में हुई है, दोपहर के खाने के लिए सड़क किनारे एक भोजनालय में गया था, तभी होटल के मालिक और कई अन्य लोगों ने उसकी मौजूदगी पर आपत्ति जताई। बताया जा रहा है कि उस समूह ने दौलत के हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए, उसे बेरहमी से पीटा और उसकी जेब से 60,000 रुपये लूट लिए।
7 लोगों पर केस दर्ज, लेकिन गिरफ्तारी एक भी नहीं
रहम की भीख मांगने के बावजूद, हमलावरों ने "वहां खाने की हिम्मत करने" के लिए उस पर हमला करना जारी रखा। बाद में इस हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद लोगों में गुस्सा फैल गया और न्याय की मांग उठने लगी। इस हंगामे के बाद, कोटड़ी पुलिस ने दौलत की शिकायत पर होटल मालिक समेत 7 आरोपियों- फैयाज अली, अरशद अली, मोईन अली, शफी मुहम्मद, नियाज, दार मुहम्मद और इकराम के खिलाफ मामला दर्ज किया। हालांकि, FIR दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे पुलिस की कार्रवाई की कमी और सिंध में अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न को लेकर गंभीर चिंताएं बढ़ गई हैं। मामला दर्ज होने से पहले, कार्रवाई न करने के लिए SSP और SHO जमशोरो के खिलाफ जिला एवं सत्र न्यायालय जमशोरो में एक याचिका दायर की गई थी। याचिका दायर होने के बाद ही पुलिस ने आखिरकार मामला दर्ज किया।
अल्पसंख्यों की सुरक्षा के लिए आवाज उठाए हिंदू समाज
इस घटना ने एक बार फिर पाकिस्तान के हिंदू अल्पसंख्यकों, खासकर बागरी जैसे हाशिए पर मौजूद समुदायों द्वारा सामना किए जाने वाले व्यवस्थागत भेदभाव और हिंसा को उजागर किया है, जो लगातार व्यापक पूर्वाग्रह और सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान की लापरवाही की निंदा करते हुए, डॉ. शर्मा ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों का सीधा उल्लंघन करते हुए एक तरह का "धार्मिक रंगभेद" कायम रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वैश्विक समुदाय को अब और चुप नहीं रहना चाहिए, और UNHRC को तत्काल जवाबदेही के लिए जोर देना चाहिए और यह पक्का करना चाहिए कि सताए गए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था बनाई जाए।
