Dark Arms Trail: दिल्ली में ISI सपोर्टेड हथियार रैकेट पकड़ा गया जो पाकिस्तान के रास्ते चीन-तुर्की की पिस्तौलें भारत में ला रहा था। 10 विदेशी हथियार, 92 कारतूस मिले। धमाके के बाद मिले सुरागों ने पूरे नेटवर्क पर बड़ा रहस्य खड़ा कर दिया। 

ISI-Backed International Arms Racket Busted: देश की राजधानी दिल्ली में पुलिस ने एक ऐसे इंटरनेशनल हथियार तस्करी रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों को भी चौंका दिया। यह नेटवर्क चीन और तुर्की में बने महंगे हथियारों को पाकिस्तान के रास्ते भारत में सप्लाई कर रहा था। पुलिस ने इस गैंग के चार महत्वपूर्ण सदस्यों को गिरफ्तार किया और उनके पास से 10 विदेशी पिस्तौलें और 92 जिंदा कारतूस बरामद किए हैं। शुरुआती जांच से पता चला है कि इस नेटवर्क को ISI का सपोर्ट मिल रहा था।

क्या ISI-सपोर्टेड यह हथियार सिंडिकेट किसी बड़े हमले की तैयारी में था?

दिल्ली-NCR, यूपी, हरियाणा और कई राज्यों में अवैध हथियारों की बढ़ती डिमांड को देखते हुए यह गैंग तेजी से अपना नेटवर्क फैला रहा था। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस बात की जांच में जुट गई हैं कि यह रैकेट अब तक कितने हथियार भारत में बेच चुका है और इसके पीछे कौन-कौन से बड़े नाम जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट में भी अमोनियम नाइट्रेट जैसी विस्फोटक सामग्री मिली थी, जो हाल ही में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 2,900 किलो जब्त की है। दोनों मामलों में कुछ समानताएँ सुरक्षा एजेंसियों को जांच और तेज करने पर मजबूर कर रही हैं।

क्या ISI भारत में नया “आर्म्स नेटवर्क” खड़ा कर रही थी?

जांच एजेंसियों को शक है कि पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) भारत में लॉन्ग-टर्म अवैध हथियार नेटवर्क तैयार कर रही थी। चीन और तुर्की में बने महंगे हथियार पहले पाकिस्तान लाए जाते थे, फिर वहां से भारतीय तस्करों के हाथों में पहुंचते थे। दिल्ली और आसपास के राज्यों के अपराधियों को हथियार सप्लाई। सोशल मीडिया, बैंक डिटेल्स और मोबाइल नेटवर्क के जरिए संपर्क। पिछले कुछ महीनों में बार-बार अवैध पिस्तौलों की सप्लाई में बढ़ोतरी। दिल्ली धमाके के बाद सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती। यह पूरा ऑपरेशन बड़ी सावधानी से चलाया जा रहा था, ताकि भारत की सुरक्षा व्यवस्था को अंदर से कमजोर किया जा सके।

क्या दिल्ली धमाके और इस हथियार गैंग का कोई लिंक है?

कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि 10 नवंबर के लाल किले के पास हुए धमाके और इस इंटरनेशनल रैकेट के बीच कोई न कोई कनेक्शन जरूर हो सकता है।

धमाके में:

  • 15 लोगों की मौत
  • कार में भारी विस्फोट

सुसाइड बॉम्बर उमर उन नबी की संदिग्ध गतिविधियां

अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने धमाके से कुछ घंटे पहले ही एक ट्रांसनेशनल टेरर मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था, जिसमें 2,900 किलो विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी। यह भी पाकिस्तान-आधारित जैश-ए-मोहम्मद और अल-कायदा लिंक्ड ग्रुप अंसार ग़ज़वत-उल-हिंद से जुड़ा था।

कैसे काम करता था यह हथियार रैकेट?

  • चीन/तुर्की से हथियार खरीद
  • SI के नेटवर्क के जरिए पाकिस्तान में एंट्री
  • तस्करों द्वारा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचाना
  • दिल्ली और आसपास के अपराधियों को सप्लाई
  • पेमेंट बैंक ट्रांसफर, क्रिप्टो या कैश में

यह पूरा ऑपरेशन बेहद गुप्त तरीके से चल रहा था ताकि किसी को शक न हो।

अब सबसे बड़ा सवाल: देश में और कितने हथियार पहुंच चुके हैं?

पुलिस अभी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि:

  • कितने हथियार पहले ही भारत में बेचे जा चुके हैं?
  • किन बड़े गैंग या अपराधियों तक यह सप्लाई पहुंची?
  • इस नेटवर्क में भारत के कौन लोग शामिल थे?
  • क्या आने वाले समय में बड़े हमलों की तैयारी थी?

जांच एजेंसियां मोबाइल डेटा, चैट रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट और सोशल मीडिया लिंक की गहन जांच कर रही हैं।

एक बड़ी साजिश नाकाम, पर खतरा अब भी बरकरार

यह गिरफ्तारी बड़ी सफलता है, लेकिन जांच एजेंसियों को लगता है कि इस नेटवर्क की जड़ें अभी और गहरी हैं। ISI, चीन-निर्मित हथियार और पाकिस्तान-आधारित रूट—इन सबका संयोजन बताता है कि भारत को अस्थिर करने की एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय साजिश चल रही थी।