Masood Azhar’s Shadow Over Delhi: क्या दिल्ली धमाका ‘जैश-ए-मोहम्मद’ की वापसी का संकेत है? UN से बैन, पाकिस्तान में सुरक्षित, और अब फिर से भारत के निशाने पर! क्या मसूद अज़हर एक बार फिर अपनी ‘डेडली चेन’ एक्टिव कर चुका है?
नई दिल्ली। दिल्ली के दिल में 10 नवंबर को हुए धमाके ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा मुद्दों को गर्मा दिया। इस धमाके के तुरंत बाद नाम सामने आया-मसूद अज़हर, वह आतंकवादी जो 26/11 मुंबई हमले, संसद हमले, पठानकोट और पुलवामा हमलों में शामिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किए जाने के बावजूद, मसूद अज़हर पाकिस्तान में सुरक्षित है और वहीं से भारत में आतंक फैलाने की कोशिशों में शामिल है।
मसूद अज़हर कौन है और क्यों है खतरनाक?
56 वर्षीय मसूद अज़हर पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक है। उसने भारत में कई खतरनाक हमले किए हैं। 1999-2000 में, IC-814 अपहरण के दौरान बंधकों के बदले भारत द्वारा रिहा किए जाने के बाद, अज़हर ने अपने संगठन की स्थापना की। जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान के बहावलपुर से संचालित होता है और इसका नेटवर्क अब भी गहरे पाकिस्तान समर्थन से फल-फूल रहा है।
अज़हर के नेटवर्क में कई फ़ील्ड कमांडर पाकिस्तान मूल के हैं। भारत में उनके कई सहयोगी और परिवार के सदस्य मारे गए हैं, लेकिन अज़हर और उसका संगठन लगातार सक्रिय है। उनके आतंकवादी कारनामों में 2001 का संसद हमला, 2008 के मुंबई हमले, 2016 का पठानकोट एयरबेस हमला और 2019 का पुलवामा हमला शामिल हैं।
क्या दिल्ली धमाका अज़हर की साज़िश थी?
जैश-ए-मोहम्मद का भारत नेतृत्व विकेंद्रीकृत है। इसका मतलब है कि उनकी गतिविधियों को रोकना मुश्किल है। दिल्ली धमाके के संदिग्धों की गिरफ़्तारी में जैश से जुड़े होने की बात सामने आई है। पिछले साल अज़हर ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक इस्लामी मदरसे में भाषण देते हुए भारत पर हमले तेज़ करने की धमकी दी थी। भारत ने पाकिस्तान से अज़हर और जैश-ए-मोहम्मद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की, लेकिन पाकिस्तान का दोहरा चरित्र लगातार सामने आता रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर और अज़हर का परिवार
पिछले साल बहावलपुर में अज़हर के आतंकी शिविर पर हुए ऑपरेशन सिंदूर ने उसके नेटवर्क को बड़ा झटका दिया। इसमें अज़हर के कम से कम 10 परिवारिक सदस्य मारे गए। हालांकि अज़हर बच गया। बाद में उसने कहा कि उसे अपने परिवार की मौत का कोई दुख नहीं है, लेकिन काश वह उनके साथ मरता।
महिला ब्रिगेड और जैश की नई रणनीति
जैश ने हाल ही में महिलाओं को भड़काने के लिए “जमात उल-मोमिनात” महिला ब्रिगेड शुरू की है। इसकी मुखिया सादिया अज़फ़र है, जिसे अज़हर ने जिहादी खाका फैलाने के लिए प्रशिक्षित किया। पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड उमर फ़ारूक़ की पत्नी भी इस ब्रिगेड की सलाहकार परिषद में शामिल हुई। भारत के फ़रीदाबाद की डॉक्टर शाहीन सईद को भारत इकाई स्थापित करने का काम सौंपा गया, जो हाल ही में धमाके के बाद असॉल्ट राइफल और गोला-बारूद के साथ गिरफ्तार हुई।
क्या पाकिस्तान फिर आतंक का केंद्र बन रहा है?
पिछले साल सोशल मीडिया पर अज़हर की मौत के झूठे दावे वायरल हुए थे। लेकिन अब दिल्ली धमाका और जैश की महिला ब्रिगेड की सक्रियता यह संकेत देती है कि अज़हर और उसका नेटवर्क भारत के लिए अभी भी बड़ा खतरा है।
अज़हर की गिरफ़्तारी और रिहाई का इतिहास
मसूद अज़हर पहले भारत की हिरासत में था। एयर इंडिया IC-814 अपहरण के दौरान उसे बंधकों के बदले रिहा करना पड़ा। दिसंबर 1999 में पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने विमान का अपहरण किया और अज़हर को कंधार ले जाया गया। भारत को बंधकों के बदले अज़हर और दो अन्य आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा।
