सार

ईरान ने इजरायल पर अब तक का सबसे बड़ा हमला करते हुए लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं, जिसके जवाब में इजरायल ने कड़ी कार्यवाही की कसम खाई है। इस घटना से मध्य पूर्व में युद्ध की आशंका बढ़ गई है और दुनिया भर में चिंता का माहौल है।

वर्ल्ड डेस्क। मध्य पूर्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है। इजराइल ने मंगलवार रात ईरान द्वारा दागी गई बैलिस्टिक मिसाइलों का जवाब देने की कसम खाई है। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, "ईरान ने बड़ी गलती की है। उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

ईरान ने इजरायली सैन्य ठिकानों पर लगभग 200 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। यह अब तक का उसका सबसे बड़ा हमला था। इससे पूरे इजरायल में सायरन बजने लगे और एयर डिफेंस सिस्टम के मिसाइल फायर होने लगे।

मध्य पूर्व में बढ़ गया युद्ध का दायरा

ईरान के हमले से मध्य पूर्व में युद्ध का दायरा बढ़ गया है। इजरायल गाजा और लेबनान में पहले से हमले कर रहा था। इसकी शुरुआत हमास द्वारा इजरायल पर किए गए भीषण हमले के बाद हुई थी। अब ईरान और इजरायल के बीच सीधी लड़ाई की आशंका बढ़ गई है।

CNN की रिपोर्ट के अनुसार ईरान के मिसाइलों ने इजरायली सैन्य ठिकानों पर हमला किया। इससे बड़ा नुकसान नहीं हुआ। इस साल यह दूसरी बार है जब ईरान ने इजरायल पर हवाई हमला किया है। इससे पहले अप्रैल में ईरान ने सीरिया में एक ईरानी राजनयिक परिसर पर संदिग्ध इजरायली हमले के जवाब में इजरायल पर बड़े पैमाने पर ड्रोन और मिसाइल हमला किया था।

ईरान ने अप्रैल में हमले से 72 घंटे पहले सूचना दी थी। इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम ने लगभग सभी 300 प्रोजेक्टाइल को आकाश से गिरा दिया गया था। इजराइल ने एक सप्ताह बाद ईरान पर सीमित हमले के साथ जवाब दिया था। इस बार इजरायल को ईरान द्वारा हमले शुरू करने से कुछ घंटे पहले ही इसका पता चला। इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के मुख्यालय, इजरायल के दूसरा सबसे बड़ा शहर तेल अवीव, नेवातिम एयर बेस और तेल नोफ एयर बेस पर अटैक किया गया।

अमेरिकी सेना के मुख्यालय पेंटागन के प्रवक्ता मेजर जनरल पैट राइडर ने कहा कि ईरान द्वारा मंगलवार को किया गया हमला अप्रैल में किए गए हमले से दोगुना बड़ा था। इसमें कई ऐसी बैलिस्टिक मिसाइलें भी शामिल थीं, जिन्हें मार गिराना मुश्किल है। इससे इजरायली नागरिकों के लिए खतरा पैदा हो गया है। वहीं, इजरायली सेना ने कहा कि ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया गया। कुछ इजरायली ज़मीन पर गिरीं और नुकसान पहुंचाती नजर आईं। हमले की वजह से मध्य इजरायल में घरों को नुकसान पहुंचा है।

क्या मध्य पूर्व में कूटनीति विफल हो गई?

कूटनीति अब तक इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच समझौता कराने में विफल रही है। हमास और इजरायल के बीच युद्ध विराम और बंधक वार्ता भी सफल नहीं हुआ है। पूर्व सीनियर खुफिया विश्लेषक जोनाथन पैनिकॉफ ने कहा, "मुझे लगता है कि ईरान के लिए नसरल्लाह अंतिम तिनका था। इजरायल अपने क्षेत्रीय दुश्मनों के साथ समझौता करने के लिए अनिच्छुक दिख रहा है। अब ईरान के हमला करने से साफ संकेत मिल रहे हैं कि भयावह युद्ध भड़क सकता है।

इजरायल और ईरान अब आगे क्या कर सकते है?

ईरान ने अपने हमले को इजरायल की ओर से गाजा और लेबनान में किए जा रहे हमलों का जवाब बताया है। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने कहा कि मंगलवार के मिसाइल हमले इजरायली सुरक्षा और सैन्य ठिकानों पर केंद्रित थे। यह इजरायल द्वारा जुलाई में ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हनीया सहित अन्य कमांडरों की हत्या के जवाब में था।

ईरान के नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के बाद हमास नेता की हत्या की गई थी। इसके बाद दुनिया को इंतजार था कि ईरान इसका जवाब किस तरह देता है। महीनों तक ईरान ने बहुत कड़ी प्रतिक्रिया नहीं की। इससे मध्य पूर्व में पूर्ण युद्ध का खतरा कम होता दिखा, लेकिन इजरायल की हत्याओं और लेबनान में बढ़ते युद्ध ने इस समीकरण को तेजी से बदल दिया है।

शनिवार को नेतन्याहू ने ईरान से कहा कि इजरायल क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल रहा है। ईरान या मध्य पूर्व में ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां इजरायल का हाथ न पहुंचे। हिजबुल्लाह के रॉकेट हमलों से विस्थापित हुए लोगों को उनके घरों में वापस भेजने के लिए नसरल्लाह की मौत जरूरी थी। अमेरिकी अधिकारियों का लंबे समय से यह आकलन रहा है कि ईरान और हिजबुल्लाह के सीनियर नेता इजरायल के साथ पूर्ण युद्ध से बचना चाहते हैं। हालांकि दोनों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती रही।

अमेरिका और अरब राजनयिकों के लिए एक बड़ा डर यह है कि इजरायल ईरान के अंदर हमला कर सकता है। संभव है कि उसके परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जाए। लंबे समय से ईरान के परमाणु ठिकाने इजरायल की आंखों में चुभ रहे हैं। 

ईरान ने साफ कर दिया है कि इजरायल की ओर से किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से तनाव और बढ़ेगा। ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने कहा कि मंगलवार का अभियान “हमारी शक्ति का केवल एक हिस्सा था।” ऑस्ट्रेलियाई सामरिक नीति संस्थान में रक्षा रणनीति के वरिष्ठ विश्लेषक मैल्कम डेविस ने बताया कि इजरायल इस मौके का फायदा उठाकर ईरान के परमाणु सुविधाओं पर अटैक कर सकता है। इजरायल को यह मंजूर नहीं कि ईरान के पास परमाणु हथियार हों।

दूसरी ओर इजरायल ने अटैक किया तो ईरान फिर से हमला कर सकता है। यह हिज्बुल्लाह जैसे अपने प्रॉक्सी से भी बड़ा अटैक करा सकता है। हिज्बुल्लाह के पास सैन्य हथियारों का भंडार है। इसका वह इस्तेमाल कर सकता है।

हालांकि, चैथम हाउस में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम के निदेशक सलाम वकील का मानना ​​है कि तेहरान को उम्मीद है कि “कुछ संयम बरता जाएगा। ईरान कुछ रेड लाइन खींचने की कोशिश कर रहा है। वह अच्छी तरह जानता है कि वह डिफेंसिव स्थिति में है। हिजबुल्लाह खतरे में है। उसके पास इजरायल से लड़ने के लिए पारंपरिक क्षमताएं नहीं हैं।”

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