सार
प्रचंड ने एकतरफा विश्वास मत हासिल कर लिया। जबकि उनके विरोध में 89 वोट पड़े। जबकि एक सांसद किसी के पक्ष में वोट नहीं किए।
Prachanda won vote of confidence: नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने सदन में विश्वासमत हासिल कर लिया है। सोमवार को हुई विश्वासमत के लिए हुई वोटिंग में प्रचंड के पक्ष में 172 सांसदों ने वोट किया। 262 सांसदों की संसद में उपस्थिति रही। प्रचंड ने एकतरफा विश्वास मत हासिल कर लिया। जबकि उनके विरोध में 89 वोट पड़े। जबकि एक सांसद किसी के पक्ष में वोट नहीं किए। प्रचंड संसद में बहुमत अपने गठबंधन के सहयोगियों की वजह से साबित कर सके हैं। उनकी पार्टी के महज 32 सांसद ही हैं। नेपाल में प्रचंड ने अपनी पार्टी सीपीएन और केपी शर्मा ओली की यूएमएल सहित कई छोटी पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन राष्ट्रपति चुनाव के बाद केपी ओली ने अपनी पार्टी का समर्थन वापस ले लिया था।
अल्पमत में आ गई थी सरकार
राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड ने नेपाल कांग्रेस के प्रत्याशी को समर्थन कर दिया था। इससे केपी शर्मा ओली नाराज होकर समर्थन वापस ले लिया था। ओली की पार्टी यूएमएल के पास 78 सांसद थे। लेकिन विश्वास मत हासिल करने के एक दिन पहले ही नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने अपने सांसदों के साथ मीटिंग कर प्रचंड को सदन में समर्थन का ऐलान किया था। देउबा ने इसके लिए व्हिप भी जारी कर दिया था। देउबा की पार्टी के 89 सांसद हैं। इसके अलावा कई छोटी पार्टियों ने भी प्रचंड को समर्थन कर दिया था। सदन में बहुमत साबित करने के पहले नेपाली कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP), CPN-US और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) ने दहल को वोट देने की घोषणा कर दी।
नए मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द
प्रचंड नए मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द करेंगे। दरअसल, प्रचंड ने जब चुनाव जीतने के बाद ओली के साथ साथ छोटे दलों के साथ गठबंधन की सरकार बनाई तो ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सरकार चलाने का समझौता हुआ था। तय हुआ था कि प्रचंड पहले ढाई साल पीएम रहेंगे इसके बाद ढाई साल तक ओली पीएम रहेंगे। लेकिन राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का कार्यकाल खत्म होने के बाद देश में हुए राष्ट्रपति चुनाव में यह नाराज ओली ने समर्थन वापस ले लिया। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव में प्रचंड ने विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के उम्मीदवार रामचंद्र पौडेल के समर्थन का ऐलान कर दिया। पौडेल के राष्ट्रपति बनने के बाद केपी शर्मा ओली ने प्रचंड सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। ऐसे में सरकार से हटने के बाद अब प्रचंड नए सदस्यों को शामिल करेंगे।