सार

पाकिस्तान दासू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर हुए आतंकी हमले में हताहत हुए 36 चीनी नागरिकों के मुआवजे के रूप में चीन को 11.5 मिलियन डॉलर देगा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर पिछले साल हमला हुआ था। 

इस्लामाबाद। पाकिस्तान चीन से दोस्ती को हिमालय से ऊंची, समुद्र से गहरी और शहद से भी मीठी बताता है। हालांकि ड्रैगन (चीन) से दोस्ती पाकिस्तान का काफी महंगी पड़ रही है। एक हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर हुए आतंकी हमले में वहां काम करने वाले 36 चीनी नागरिक हताहत हुए थे। इनमें से 10 की मौत हो गई थी और 26 गंभीर रूप से घायल हुए थे। इसके मुआवजे के रूप में पाकिस्तान ने चीन को 11.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का फैसला किया है।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर पिछले साल हमला हुआ था। भुगतान किए जाने वाले मुआवजे पर निर्णय वित्त मंत्री मिफ्ता इस्माइल की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) की बैठक में लिया गया। डॉन अखबार ने शुक्रवार को बताया कि समिति ने 200,000 टन गेहूं के लिए लगभग 408 अमेरिकी डालर प्रति टन की निविदाओं को मंजूरी दी। इसके साथ ही पिछले साल जुलाई में दासू जलविद्युत परियोजना पर हुए हमला में हताहत हुए चीनी नागरिकों के लिए 11.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर सद्भावना मुआवजे की अनुमति दी।

10 चीनी कामगारों की हुई थी मौत
पिछले साल 13 जुलाई को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कोहिस्तान जिले में स्थित दासू जलविद्युत परियोजना में काम करने वाले चीनी कामगारों को ले जा रही बस पर आत्मघाती हमला हुआ था। इस हमले में 10 चीनी नागरिक मारे गए थे और 26 गंभीर रूप से घायल हुए थे। इनमें से अधिकतर इंजीनियर थे। 

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दासू जलविद्युत परियोजना 4,320 मेगावाट की है। इसका निर्माण चीन की गेझौबा कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए पैसे विश्व बैंक से मिले हैं। यह परियोजना चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का हिस्सा नहीं है। हमले के बाद चीनी बौखला गए थे। उन्होंने निर्माण कार्य स्थगित कर दिया था और पीड़ितों के लिए पूर्ण सुरक्षा और मुआवजे की मांग करते हुए सीपीईसी पर एक महत्वपूर्ण बैठक भी स्थगित कर दिया था। सरकारी सूत्रों के अनुसार शुरुआत में चीनी ठेकेदार चाइना गेझोउबा ने 37 मिलियन अमेरिकी डालर के मुआवजे की मांग की थी। यह चीन द्वारा अपने ही देश में इसी तरह के हमले में मारे जाने पर अपने नागरिकों को दिए जाने वाले भुगतान से 500 प्रतिशत अधिक था।

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