सार
पाकिस्तान के हालात की तरह ही वहां की अर्थव्यस्था (Pakistan Economy) भी खतरे में पड़ गई है। सही मायनों में कहा जाए तो पाकिस्तान की इकॉनमी शैतान और गहरे समुद्र जैसी खाई के बीच फंस गई है।
Pakistan Economy. पाकिस्तान के राजनैतिक-सामाजिक हालात की तरह ही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी डंवाडोल हो चुकी है। किसी के पास ऐसा आइडिया नहीं है जो शैतान और गहरे समुद्र के बीच फंसी पाकिस्तानी इकॉनमी को बाहर निकाल सके। बिजनेस रिकॉर्डर की रिपोर्ट बताती है कि पाकिस्तान में फंड की समस्या दिनों दिन और खराब होती जा रही है। जबकि ऐसे हालात में भी पाकिस्तान यह दावा करता है कि उसके पास जुलाई 2023 तक के लिए पर्याप्त भंडार मौजूद है।
क्या है पाकिस्तान का सेंसेटिव प्राइस इंडेक्स
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिक्स ने सेंसेटिव प्राइस इंडेक्स का कैलकुलेशन किया है। 11 मई को समाप्त हुए सप्ताह में यह 48.02 प्रतिशत तक पहुंच गया। लार्ज स्केल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर इंडेक्स ने जुलाई-मार्च 2023 के लिए 8.11 प्रतिशत की निगेटिव मार्किंग की है। इससे सामानों की कीमत में तेजी से बढ़ोतरी होगी। द स्टेट ऑफ अफेयर्स ने कहा है कि आर्थिक नीतियों की वजह से रेवेन्यू में भी कमी आई है। मौजूदा पॉलिटिकल सिचुएशन की वजह से टैक्स कलेक्शन में भी कमी आई है। यही हाल रहा तो पाकिस्तान सरकार का खर्च हर साल बढ़ता जाएगा। यह पिछले साल के मुकाबले पहले 8 महीने में ही 75 प्रतिशत तक बढ़ चुका है।
पाकिस्तान के मौजूदा हालात का कितना असर
पाकिस्तान के मौजूदा राजनैतिक संकट की वजह से सरकार को घरेलू सोर्स से ही उधार लेने की जरूरत पड़ रही है। धीमी प्रगति के बीच यह महंगाई बढ़ाने का ही काम करेगा। न्यूज रिपोर्ट बताती है कि एंटी ग्रोथ माहौल और प्राइवेट सेक्टर की उधारी के कारण हालात और भी बिगड़ने वाले हैं। यही वजह है कि तीन साल के इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड प्रोग्राम में पाकिस्तान 33वें स्थान पर है। यह पिछले 76 साल के इतिहास में सबसे लो पोजीशन है। रिपोर्ट बताती है कि इस समस्या का समाधान राजनैतिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में टैक्स रिफॉर्म में छिपा हुआ है। रेवेन्यू को बढ़ाने के लिए टैक्स संरचना में बड़े बदलाव की जरूरत है।
क्या कर रही है पाकिस्तान की सरकार
पाकिस्तान सरकार का रवैया सिर्फ एलीट क्लास के लिए सेफ गार्ड मुहैया कराने तक सीमित है। रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज को हर हाल में टैक्स नेट को बढ़ाना होगा। जिसमें ट्रेडर्स के अलावा पब्लिक की भागीदारी भी तय करनी होगी। साथ ही शुगर एक्सपोर्ट और फार्म सेक्टर पर भी कुछ अतिरिक्त टैक्स का बोझ डालना होगा। रिपोर्ट्स के अनुसार 400 बिलियन पाकिस्तानी रुपया बीआईएसपी के तहत है जबकि पाकिस्तानी बजट का कुल खर्च बढ़कर 8694 बिलियन तक पहुंच गया है।
पाकिस्तान सरकार को क्या करना होगा
पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का यह संकट दूर करने का एकमात्र उपाय है कि पाकिस्तानी सरकार अपना खर्च कम करे। यह खर्च 1.5 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए तक होना चाहिए। साथ ही डेवलपमेंट के लिए जो पैसा खर्च किया जा रहा है, उसका सही तरीके से उपयोग होना चाहिए। साथ ही साथ रेवेन्यू बढ़ाकर ही समस्या से निजात पाई जा सकती है।
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