SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की SCO बैठक में क्या-क्या हुआ? भारत-चीन संबंध, सीमा मुद्दे और वैश्विक कूटनीति प्रमुख। क्या यह बैठक क्षेत्रीय गठबंधनों को बदल देगी या सिर्फ प्रतीकात्मक कूटनीति है?
SCO Summit 2025 China: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्तमान में चीन के तिआनजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 2025 समिट में हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की द्विपक्षीय बैठक ने वैश्विक कूटनीति और भारत-चीन संबंधों पर नई बहस को जन्म दिया है। बैठक ऐसे समय पर हुई है जब दोनों देशों के रिश्तों में नरमी दिखाई दे रही है और सीमा विवाद के बावजूद सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा हो रही है।
पुतीन, जिनपिंग और मोदी के साथ शाहबाज शरीफ भी हुए ग्रुप फोटो में शामिल
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सप्ताह सोशल मीडिया पर साझा किया था कि वह SCO शिखर सम्मेलन में विभिन्न विश्व नेताओं से मिलने और विचार-विमर्श करने के लिए उत्साहित हैं। आज नेताओं के ग्रुप फोटो सेशन में पीएम मोदी, शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल हुए। यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यह पीएम मोदी का चीन का पहला दौरा है सात वर्षों में और शी जिनपिंग के साथ उनकी दूसरी मुलाकात है। पिछली मुलाकात रूस के कजान शहर में हुए ब्रिक्स 2024 सम्मेलन के दौरान हुई थी।
पीएम मोदी-जिनपिंग के बीच किन मुद्दों पर हुई चर्चा?
बैठक में दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और चीन को प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि साझेदार बनकर अपने-अपने घरेलू विकास पर ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, मतभेदों को विवाद में बदलने से बचने और स्थिर व मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखने पर भी सहमति बनी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि इस साझेदारी का लाभ केवल दोनों देशों के नागरिकों तक ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर 2.8 अरब लोगों तक पहुंच सकता है।
क्या यह बैठक भारत-चीन संबंधों में नया अध्याय जोड़ सकती है?
पीएम मोदी और शी जिनपिंग की इस बैठक में दोनों देशों के बीच व्यापार, तकनीकी सहयोग और सीमा प्रबंधन पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक केवल औपचारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक कदम हो सकती है।
SCO Summit 2025 में भारत और चीन की दोस्ती कितनी मजबूत होगी?
SCO समिट में दोनों देशों के सहयोग की दिशा पर कई चर्चाएं हुईं। साथ ही रूस और पाकिस्तान के नेताओं की उपस्थिति ने वैश्विक कूटनीति को और जटिल बना दिया है।
क्या अमेरिका और अन्य वैश्विक ताकतों पर इसका असर पड़ेगा?
हाल ही में अमेरिका और भारत के रिश्तों में खटास आई है, खासकर रूस से तेल की खरीद पर 50% टैरिफ के चलते। इस बैठक से वैश्विक राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना है।
ग्रुप फोटो सेशन में कौन-कौन शामिल हुए और क्यों महत्वपूर्ण है?
पीएम मोदी, शी जिनपिंग, पुतिन और शहबाज शरीफ एक मंच पर नजर आए। यह फोटो केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में शक्तियों के संतुलन का संकेत है।
क्या सीमाओं पर तनाव कम होगा?
बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को विवाद में बदलने से बचाने और आपसी संबंधों को स्थिर रखने पर जोर दिया।
