सार

ऑस्ट्रेलिया में नस्लीय भेदभाव(racial discrimination) का मुद्दा एक बार फिर गर्म है। ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में एक पोस्ट ऑफिस के बाहर नस्लभेदी साइनबोर्ड लगाने से भारतीय समुदाय में नाराजगी है। हालांकि बाद में पोस्ट आफिस ने यह साइनबोर्ड हटाकर माफी भी मांग ली। 

सिडनी.ऑस्ट्रेलिया में नस्लीय भेदभाव(racial discrimination) का मुद्दा एक बार फिर गर्म है। ऑस्ट्रेलिया के एडिलेड में एक पोस्ट ऑफिस के बाहर नस्लभेदी साइनबोर्ड लगाने से भारतीय समुदाय में नाराजगी है। हालांकि बाद में पोस्ट आफिस ने यह साइनबोर्ड हटाकर माफी भी मांग ली। साइन बोर्ड में लिखा हुआ था कि भारतीय फोटो नहीं ले सकते। इसे लेकर एडिलेड में रह रहे भारतीयों ने कड़ी आपत्ति जताई थी। भारतीय समुदाय ने इसे रेसिस्ट(Racist-नस्लवाद) से जोड़कर विरोध जताया था।

यह है पूरा विवाद
मामला एडिलेड के रंडल मॉल इलाके का है। यहां एक पोस्ट ऑफिस के बाहर एक साइन बोर्ड पर अंग्रेजी के बड़े और बोल्ड अक्षरों में लिखा गया था- Due to our lighting and quality of Photo background, we unfortunately can not take Indian photos...। इसे लेकर भारतीय समुदाय नाराज हो गया। यहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लीडर राजेंद्र पांडे ने आपत्ति जताते हुए कहा कि शायद वे लाइटिंग के जरिये हमारे रंग के बारे में बोल रहे हैं। भारतीय समुदाय के और भी लोगों ने इस पर आपत्ति जताई। 

विवाद बढ़ने पर माफी मांगी
इससे पहले कि यह यह मामला अधिक तूल पकड़ता, ऑस्ट्रेलिया की टेलीकॉम मिनिस्टर और एनएसडब्ल्यू लेबर पार्टी की अध्यक्ष मिशेल रोलैंड ने कहा कि एडिलेड पोस्ट ऑफिस के बाहर साइन बोर्ड पर लिखी बातें स्वीकार नहीं की जा सकती हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया पोस्ट को लिखा है। जल्द ही वे अपडेट देंगी।

वहीं, ऑस्ट्रेलिया पोस्ट की प्रवक्ता ने तर्क दिया कि यह साइनबोर्ड बड़ी संख्या में इंडियन पासपोर्ट और वीजा एप्लिकेशन के उनके साथ दिए गए फोटो के कारण रिजेक्ट होने का नतीजा है। उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में भारतीय फोटो की मंजूरी के लिए अलग से नियम हैं। इसके लिए ऑस्ट्रेलिया पोस्ट उसके क्राइटेरिया को पूरा करने सक्षम नहीं है।

बता दें कि 2008 मे एक सर्वे सामने आया था। इसमें खुलासा हुआ था कि आस्ट्रेलिया में हर दसवां व्यक्ति नस्ली सोच रखता है। हालांकि मौजूदा स्थिति का आकलन होना बाकी है, लेकिन इस मुद्दे ने मामले को उछाल दिया है। यह सर्वे वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय ने किया था। 'चैलेंजिंग रेसिज्म : द एंटी-रेसिज्म रिसर्च प्रोजेक्ट' में एक दशक के दौरान करीब 12,500 लोगों का साक्षात्कार किया गया था। उनमें से अधिकांश ने एक विशेष समुदाय के बारे में कहा कि वह आस्ट्रेलियाई समाज के अनुकूल नहीं है। यानी यहां रहने योग्य नहीं है।

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