सार
यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव(Russia Ukraine Conflict) कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अमेरिका के चेतावनी कि रूस फरवरी में हमला कर सकता है, उसे देखते हुए यूक्रेन के आमजन भी लड़ाई की तैयारियां कर रहे हैं। उन्हें आर्मी ट्रेनिंग दे रही है।
वर्ल्ड न्यूज डेस्क. यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव(Russia Ukraine Conflict) लगातार बढ़ता जा रहा है। अमेरिका ने आशंका जताई है कि रूस फरवरी में यूक्रेन पर हमला कर सकता है। इसे देखते हुए यूक्रेन भी लड़ाई की तैयारियों में जुट गया है। रूसी सेना ने समुद्र में भी यूक्रेन की घेराबंदी कर ली है। बॉर्डर पर उसके 1 लाख से अधिक सैनिक जमा हैं। आशंका जताई जा रही है कि बर्लिन में होने वाली डिप्लोमैट्स की मीटिंग में अगर कोई नतीजा नहीं निकलता है, तो रूस यूक्रेन पर हमला कर देगा। इसके मद्देनजर यूक्रेन के आम लोग भी युद्ध के लिए तैयार होने लगे हैं। यूक्रेन की आर्मी उन्हें नकली बंदूकों के सहारे सैन्य अभ्यास करा रही है।
लोगों को युद्ध में शामिल होने की अपील की जा रही है
यूक्रेन के मीडिया के अनुसार, कई शहरों में प्रादेशिक रक्षा बलों ने सैन्य अभ्यास में लोगों की भागीदारी बढ़ाने होर्डिंग्स लगाए हैं। इनमें लिखा गया कि लोग कैसे अपने घरों की रक्षा कर सकते हैं। यूक्रेन आर्मी आम लोगों को गुरिल्ला युद्ध की कला सिखा रही है। यानी छुपकर कैसे दुश्मनों पर हमला करना है। माना जा रहा है कि अमेरिका ने भले ही रूस को चेतावनी दी है, लेकिन लगता नहीं कि वो यूक्रेन की मदद के लिए अपनी सेना भेजेगा। नाटो का भी यही रवैया है। बेशक अमेरिका ने अपने 8500 सैनिक अलर्ट रखे हैं। लेकिन वो रूस पर हमला करने के बजाय आर्थिक नाकाबंदी की रणनीति तैयार कर रहा है। कहा गया था कि ब्रिटेन यूक्रेन को टैंक रोधी हथियार और बख़्तरबंद गाड़ियां मुहैया करा रहा है। उसने वादा भी किया था कि अगर रूस की सेना यूक्रेन की सीमा में घुसती है, तो ब्रिटेन भी नाटो सैन्य गठबंधन में अपनी फौज़ भेजेगा। हालांकि इसकी संभावना कम नजर आ रही है।
पूरे युद्ध के मूड में हैं रूस
अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद रूस के तेवर कम होते नजर नहीं आ रहे हैं। रूस से सीमा पर ब्लड की सप्लाई शुरू कर दी है। इसे देखते हुए अमेरिका ने रूस की नीयत पर शक जाहिर किया है। दरअसल, रूस कह चुका है कि वो यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा, लेकिन जिस तरह से वो तैयारियां कर रहा है, उसे देखते हुए उसके इरादे ठीक नहीं लगते। पिछले महीने CNN न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया था कि रूस बॉर्डर पर मेडिकल सुविधाएं बढ़ा रहा है। हालांकि यूक्रेन ने इसका खंडन किया था।
पेरिस में सीजफायर का समझौता हुआ था
पेरिस में सीजफायर पर रजामंदी के बावजूद यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव(Russia Ukraine Conflict) बना हुआ है। रूस ने यूक्रेन की सीमा पर अपने करीब 106,000 सैनिक जमा कर रखे हैं। 26 जनवरी को दोनों देशों के बीच टकराव टालने पेरिस में चली करीब 8 घंटे की मीटिंग के बाद दोनों देशों; खासकर रूस के तेवरों में कमी आई थी। यानी दोनों देश सीजफायर के लिए राजी हुए। लेकिन खतरा अभी टला नहीं है।
यह है विवाद की मुख्य वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।
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