सार

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन मंगलवार को न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से काम करने के लिए सभी देशों को आमंत्रित किया। कहा-आतंकवाद का साथ देने वाले यूएस के सबसे बड़े दुश्मन होंगे।

न्यूयार्क। अमेरिका (America) ने साफ किया है कि वह दुनिया में नया शीतयुद्ध नहीं चाहता है। मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (Ubited Nations general Assembly) में यूएस प्रेसिडेंट (US President) जो बिडेन (Joe Biden) ने चीन (China) के साथ अपने रिश्तों के संदर्भ में कहा कि अमेरिका नया शीत युद्ध (cold war) नहीं चाहता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका किसी भी राष्ट्र के साथ काम करने के लिए तैयार है जो चुनौतियों को साझा करने के लिए शांतिपूर्ण समाधान का प्रयास करता है, भले ही हमारे बीच अन्य क्षेत्रों में तीव्र असहमति हो।

 

न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए यूएस प्रेसिडेंट जो बिडेन ने कहा कि अमेरिका अब वही देश नहीं है, जिस पर 20 साल पहले 9/11 को हमला हुआ था। आज हम बेहतर ढंग से तैयार हैं। हम आतंकवाद के कड़वे दंश को जानते हैं। पिछले महीने काबुल हवाई अड्डे पर हुए जघन्य आतंकवादी हमले में हमने 13 अमेरिकी नायकों और कई अफगान नागरिकों को खो दिया।

आतंकवाद का साथ देने वालों का सबसे बड़ा दुश्मन अमेरिका

प्रेसिडेंट बिडेन ने कहा कि जो लोग हमारे खिलाफ आतंकवाद के कृत्य करते हैं, वे संयुक्त राज्य अमेरिका को अपना बड़ा दुश्मन पाएंगे। अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ अपनी और अपने सहयोगियों की रक्षा करना जारी रखेगा।

जो बिडेन ने कहा, 'आज हम आतंकवाद के खतरे का सामना कर रहे हैं। हमने अफगानिस्तान में 20 साल के संघर्ष को समाप्त कर दिया है। जैसे ही हम इस युद्ध को बंद कर रहे हैं, हम कूटनीति के दरवाजे खोल रहे हैं।'

भारत के साथ क्वाड में काम करने का किया जिक्र

राष्ट्रपति बिडेन ने भारत का जिक्र करते हुए कहा कि हमने स्वास्थ्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का सामना करने के लिए क्वाड साझेदारी को बढ़ाया है। अमेरिका किसी भी राष्ट्र के साथ काम करने के लिए तैयार है जो शांतिपूर्ण प्रस्तावों का अनुसरण करता है।

बिडेन ने यह भी कहा कि अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्ण विसैन्यीकरण को आगे बढ़ाने के लिए गंभीर और निरंतर कूटनीति चाहते हैं।

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