सार
वर्ल्ड डेस्क। सीरिया की राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के साथ ही 8 दिसंबर को बशर अल-असद की सत्ता छीन गई। विरोधियों के आने से पहले ही असद विमान में सवार होकर भाग गए थे। शुरू में किसी को पता नहीं था कि वह कहां गए हैं। उनके विमान के क्रैश होने की खबरें आने लगी। बाद में रूस ने पुष्टि की कि असद वहां पहुंचे हैं। रूस ने असद और उनके परिवार को शरण दी है।
7 दिसंबर को विद्रोही जब दमिश्क की ओर बढ़ रहे थे तब असद कहीं नजर नहीं आ रहे थे। असद के गार्ड भी उनके घर पर तैनात नहीं थे। 8 दिसंबर को जब विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर लिया और असद शासन के अंत की घोषणा की तब भी असद का पता नहीं चल पाया।
वायुसेना के इल्यूशिन विमान में सवार होकर भागे असद
असद के ठिकाने के बारे में पूछे जाने पर सीरिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद गाजी अल-जलाली ने बताया कि वह शनिवार से उनसे बात नहीं कर पाए हैं। हालांकि शनिवार को सरकारी मीडिया ने दावा किया था कि असद दमिश्क में हैं। बाद में सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के प्रमुख रामी अब्दुर्रहमान ने बताया कि राष्ट्रपति रविवार सुबह दमिश्क से चले गए।
FlightRadar24.com ने रविवार को इल्यूशिन विमान को दमिश्क एयरपोर्ट से उड़ान भरते हुए दिखाया है। लगभग उसी समय विद्रोहियों ने शहर पर कब्जा कर लिया था। यह नहीं बताया गया कि विमान कहां गया। विमान को शनिवार रात 10 बजे उड़ान भरनी थी। फ्लाइटरडार ने दिखाया कि उड़ान भरने के बाद विमान दमिश्क से पूर्व की ओर फिर उत्तर-पश्चिम की ओर उड़ा। होम्स के पास उसने ऊंचाई कम की। इसके बाद फ्लाइट ट्रांसपोंडर ने सिग्नल भेजना बंद कर दिया।
रूस ने दी असद को शरण
असद के ठिकाने का रहस्य आखिरकार रविवार रात को सुलझ गया। रूसी समाचार एजेंसियों ने खबर दी कि असद और उनका परिवार रूस में है। रूस ने उन्हें शरण दी है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र और जॉर्डन की सलाह पर असद अपने परिवार के साथ मास्को गए थे। असद के पास अपने निर्वासन के लिए ईरान जाने का भी विकल्प था, लेकिन उन्होंने पुतिन के साथ अच्छे रिश्तों के चलते रूस जाना तय किया।
भागने के लिए असद ने रूस को क्यों चुना?
असद का रूस भागना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ असद की पुरानी दोस्ती है। रूस ने असद सरकार को मदद दी थी। 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान सीरिया को रूस से पूरा समर्थन मिला था। गृहयुद्ध के दौरान पुतिन की सेना ने सीरिया में विद्रोहियों के ठिकानों पर बमबारी की। रूसी सेना ने जमीन पर भी लड़ाई लड़कर सरकारी सेना की मदद की।
2015 में पुतिन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि पश्चिम द्वारा असद का समर्थन करने से इनकार करना "बहुत बड़ी गलती" है। रूस ने सीरिया पर प्रस्तावों को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कई मौकों पर अपनी वीटो शक्तियों का इस्तेमाल किया है।