पाकिस्तानी कमेंटेटर कमर चीमा ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले 25 साल में भारत तो कई बार आए, लेकिन पाकिस्तान नहीं। उन्होंने ये भी बताया कि ऐसा क्या है कि रूस इस्लामाबाद को अहमियत नहीं देता? 

नई दिल्ली। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत दौरे पर आए। इस दौरान उन्होंने भारत के साथ कई सेक्टर में बड़े समझौते किए। पुतिन की इस यात्रा पर दुनियाभर के देशों की निगाहें जमी रहीं। ऐसे में पाकिस्तान भला पीछे कैसे रह सकता है। पाकिस्तान के पॉलिटिकल कमेंटेटर और एक्सपर्ट कमर चीमा ने पुतिन के दिल्ली दौरे पर रिएक्ट करते हुए अपनी खीझ निकाली। इसके साथ ही चीमा ने अपने ही देश पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर रूस के टॉप लीडर व्लादिमीर पुतिन अब तक पाकिस्तान क्यों नहीं आए। उन्होंने इसकी वजह भी बताई।

पाकिस्तान पुतिन को अपने यहां बुला पाने में नाकाम

कमर चीमा ने रशियन टॉप लीडरशिप के पाकिस्तान न आने को लेकर अपने देश की सरकारों से इस मामले पर विचार करने की गुहार लगाई है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि रूस उन्हें क्यों अहमियत नहीं देता। एक यूट्यूब वीडियो में कमर चीमा ने कहा, 'पुतिन पिछले ढाई दशक से रूस की सत्ता में टॉप पर हैं। वो भारत की यात्रा कई बार कर चुके हैं, लेकिन आज तक कभी पाकिस्तान नहीं आए। इसे हम यह भी कह सकते हैं कि हम खुद उनको अपने यहां बुलाने में नाकाम रहे हैं।

हिना रब्बानी ने की कोशिश, लेकिन..

कमर चीमा के मुताबिक, पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने अपने कार्यकाल के दौरान पुतिन को पाकिस्तान बुलाने की कोशिश की थी। यहां तक कि उन्होंने दावा भी किया था कि पुतिन इस्लामाबाद आएंगे, लेकिन वो नहीं आए। बाद में फॉर्मेलिटी के लिए रूस के विदेश मंत्री को पाकिस्तान भेजा गया था।

पाकिस्तान को क्यों अहमियत नहीं देता रूस?

कमर चीमा के मुताबिक, 2011 में भी व्लादिमीर पुतिन को पाकिस्तान बुलाने के लिए हाथ-पैर मारे गए, लेकिन तब रूस की सरकार ने दोटूक जवाब देते हुए कहा था, हम महज फोटोशूट के लिए पाकिस्तान नहीं आ सकते। उनका सीधा मतलब था कि इस्लामाबाद से उन्हें कोई बड़ा एग्रीमेंट या फायदा होता नहीं दिख रहा था। चीमा ने कहा कि दुनिया में ये संदेश भी जाता है कि पाकिस्तान का झुकाव अमेरिका की तरफ ज्यादा है, इसलिए भी रूस हमसे कतराता है।

पाकिस्तान के लिए झटका

कमर चीमा के मुताबिक, पाकिस्तानी लीडरशिप के लिए रूसी राष्ट्रपति को अपने यहां तक न ला पाना हमारी नाकामयबी है और इसे हमें कुबूल करना ही होगा। पाकिस्तानी नेतृत्व रूस को यह समझा पाने में नाकाम रहा है कि वो भी भारत की तरह रूस के बहुत काम आ सकता है।