हिंदू धर्म में कुछ तिथियां बहुत ही खास मानी गई हैं, अमावस्या भी इनमें से एक है। इस तिथि के स्वामी स्वयं पितृ देव है, यही कारण है कि इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि उपाय किए जाते हैं।
इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या 30 मई, सोमवार को है। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) कहलाएगी। हिंदू धर्म ग्रंथों में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है।
हिंदू पंचांग के तीसरे महीने की अमावस्या 30 मई, सोमवार को है। इस दिन शनि जयंती (Shani Jayanti 2022), वट सावित्री के साथ ही सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) का पर्व भी मनाया जाएगा।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि पर अक्सर कई बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। इसे पितरों की तिथि भी माना गया है। इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 30 मई, सोमवार को आ रही है।
धर्म ग्रंथों में शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार ये शुभ योग 30 अप्रैल को बन रहा है। इसी दिन सूर्यग्रहण भी होगा, लेकिन ये भारत में नही दिखाई देगा। शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्यग्रहण का होगा दुर्लभ संयोग है।
आज (30 अप्रैल, शनिवार) वैशाख मास की अमावस्या है। धर्म ग्रंथों में इस अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है। इस बार वैशाख अमावस्या शनिवार को होने से ये शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) कहलाएगी। ये बहुत ही शुभ संयोग है।
इस बार 30 अप्रैल, शनिवार को वैशाख मास की अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक साथ मेष राशि में रहेंगे। चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में रहेगा और सूर्य भरणी नक्षत्र में।
अप्रैल के अंतिम 2 दिन यानी 29 और 30 धार्मिक और ज्योतिषिय दृष्टिकोण से बहुत ही खास रहने वाले हैं। 29 अप्रैल को शनि ग्रह ढाई साल राशि परिवर्तन करेगा यानी मकर से कुंभ में प्रवेश करेगा। वहीं 30 अप्रैल, शनिवार को अमावस्या तिथि होने से शनि अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) का योग बन रहा है।
इस बार वैशाख मास की अमावस्या 30 अप्रैल, शनिवार को है। शनिवार को अमावस्या होने से ये शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) कहलाएगी। इस अमावस्या का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। साल 1-2 बार ही ऐसा योग बनता है, इसलिए पौराणिक ग्रंथों में इसे महापर्व भी कहा गया है।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इस तिथि के स्वामी पितृ देवता बताए गए हैं। जब शनिवार को अमावस्या तिथि होती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2022) कहते हैं। शनिवार को अमावस्या होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।