मां शक्ति की भक्ति का पर्व नवदुर्गा उत्सव(Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू हुआ। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने tweet करके सबको बधाई देते हुए देश के बेहतरी के लिए कामना की।
मां शक्ति की भक्ति का पर्व नवदुर्गा उत्सव(Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू होगा। दुर्गा के पंडाल हमेशा से किसी थीम पर तैयार किए जाते हैं। पश्चिम बंगाल में इस बार किसान आंदोलन दिखाया जा रहा है।
मां शक्ति की भक्ति का पर्व नवदुर्गा उत्सव(Navratri 2021) 7 अक्टूबर से शुरू होगा। लेकिन इस बार भी corona Virus के चलते मूर्ति बनाने वालों कारीगरों को धंधा मंदा है।
Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ये देवी सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं। इसलिए इनका नाम सिद्धिदात्री है। इस बार इनकी पूजा 4 अक्टूबर, मंगलवार को की जाएगी।
Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इससे जुड़ी कई कथाएं धर्म ग्रंथों में मिलती है। इस बार ये पर्व 26 सितंबर, सोमवार से शुरू हो रहा है। नवरात्रि के दौरान रोज देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि (Chaitra Navratri) में लोग अष्टमी या नवमी के दिन पूजा-अर्चना करने के माता रानी को काले चने और हलवा-पूड़ी का भोग लगाते हैं और कन्या पूजन करने के बाद इसी से ही व्रत खोलते हैं। आइए आपको बताते हैं पूजा वाले काले चने बनाने की रेसिपी...
Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी काल का भी नाश करने में सक्षम है, इसलिए इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। इस बार 2 अक्टूबर, रविवार को इनकी पूजा की जाएगी।
Sharadiya Navratri 2022: वैसे तो साल में 4 बार नवरात्रि पर्व आता है, लेकिन इन सभी में शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। इस दौरान देवी को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष व तंत्र उपाय भी किए जाते हैं, जिससे मनोकामना पूरी होती है।
Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन यानी अष्टमी तिथि को देवी महागौरी की पूजा की जाती है। ये देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप हैं। इस बार अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर, सोमवार को है। इस दिन कन्या पूजा की परंपरा भी है।
Sharadiya Navratri 2022: नवरात्रि हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये त्योहार देशभर में अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है। इन 9 दिनों में रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन शैल पुत्री की पूजा की जाती है।