शायद ये पहली बार है कि आवंटन में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को भी पूरी तावज्जो देने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। RJD टिकट बंटवारे के लिए निजी एजेंसी की सर्वे रिपोर्ट का भी सहारा ले रही है।
देरी की वजह से उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी और मुकेश साहनी की वीआईपी ने बगावती तेवर दिखाए हैं। दोनों नेताओं ने खुलकर मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर तेजस्वी यादव के नेतृत्व को अस्वीकार कर दिया।
बताया जा रहा है कि बुधवार की देर शाम परसा विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी कार्यकर्ता राबड़ी आवास के बाहर पहुंचे थे। राजद के कार्यकर्ता महेश राय के लिए परसा विधानसभा सीट से टिकट की मांग रहे थे। वे तेजस्वी यादव से मुलाकात करना चाहते थे। टिकट मांग को लेकर राबड़ी आवास पहुंचे कार्यकर्ताओं ने बैरेकेटिंग के ऊपर चढ़कर नारेबाजी की।
पार्टी ने घोषणा में यह भी पूरी तरह से साफ किया कि उसका सपोर्ट सिर्फ और सिर्फ RJD उम्मीदवारों के लिए है न कि महागठबंधन (Mahagathbandhan) के लिए। बिहार में आरजेडी महागठबंधन का अगुआ दल है।
महागठबंधन और एनडीए (NDA) में शामिल दलों के बीच सीटों के शेयरिंग फॉर्मूले पर कोई बात नहीं बन पाई है। घमासान इतना ज्यादा है कि दोनों बड़े मोर्चों में टूट की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले आरजेडी- स्ट्रेटजी, पोस्टर और प्रचार सामग्री को लेकर चर्चा में है। पार्टी पोस्टर और प्रचार सामग्री भी आरजेडी (RJD) के अंदर ही अंदर कुछ अलग पकने के संकेत दे रहे हैं।
इस बार राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए आरजेडी (RJD) भी सोशल इंजीनियरिंग में फेरबदल की कोशिश करता दिख रहा है। इसके तहत पार्टी ज्यादा से ज्यादा सवर्ण उम्मीदवारों पर दांव लगाने की तैयारी में है।
टिकट बंटवारे और अनाउंसमेंट में देरी से छोटे-बड़े हर नेता की सांस अटकी है। ऐसे माहौल में बिहार के दोनों बड़े मोर्चों - एनडीए और महागठबंधन में संतुलन बनाने की कोशिश करते देखे जा सकते हैं।
रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू प्रसाद यादव को भेजे गए लेटर में लिखा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर के बाद 32 वर्षो तकआपके पीछे खड़ा रहा लेकिन अब नहींय़ पार्टी, नेता, कार्यकर्ता और आमजन ने बड़ा स्नेह दिया, लेकिन मुझे क्षमा करें।
एनडीए और महागठबंधन में दिख रही राजनीति से ऐसा लग रहा है कि चुनाव की घोषणा तक दोनों मोर्चों में शामिल दलों का स्वरूप बदल सकता है। यह भी हो सकता है कि चुनाव के पहले साथ दिख रहे दल चुनाव बाद अलग हो जाएं।