नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को अलग-अलग समय पर पार्टी के अलग-अलग वर्ग के नेताओं के साथ बैठक की थी। अति पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अल्संख्यक नेताओं की बैठक राबड़ी आवास पर तीन शिफ्ट में हुई। नेता प्रतिपक्ष ने बैठक में सभी वर्ग के नेताओं से फीडबैक लिया और उन्हें काम की जिम्मेवारी दी।
एसएसपी जयंत ने बताया कि इस रुपए के बंटवारे के लिए सभी एक जगह एकत्रित हुए थे। साथ ही एक नए कांड की तैयारी चल रही थी, तभी मुजफ्फरपुर पुलिस ने चार लुटेरों को दबोच लिया, जबकि तीन अन्य भागने में कामयाब रहे।
याचिका झारखंड हाईकोर्ट में लगाई गई है। इसमें जेल मैनुअल की अनदेखी का आरोप लगाते हुए लालू को फिर से जेल शिफ्ट करने की मांग की गई है। जेडीयू समेत कई दलों ने भी सवाल उठाए हैं।
तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार अब एक ही गठबंधन में हैं तो दोनों बिहार में चर्चा का विषय बन चुके हैं। क्या दोनों एक साथ मंच साझा करेंगे? साझा करेंगे तो कन्हैया के रुतबे के आगे तेजस्वी की हैसियत क्या होगी?
2015 में महागठबंधन ने चुनाव में बहुमत हासिल कर सरकार भी बना ली थी। मगर बाद में अनबन के बाद नीतीश कुमार पाला बदलकर एनडीए खेमे में चले गए, और उनके नेतृत्व में एनडीए की सरकार भी बन गई।
मांझी 15 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि नीतीश कुमार उन्हें 10-12 सीट देने को तैयार हैं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को छोड़ कर श्याम रजक आरजेडी में चले गए हैं। ऐसी स्थिति में श्याम रजक के स्थान पर जीतन राम मांझी को दलित चेहरा के रूप में पार्टी पेश कर सकती है। बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि मांझी आगे क्या करते हैं।
ये वक्त बिहार में किसी भी पार्टी और नेता के लिए सबसे जरूरी समय है। लालू प्रसाद यादव के बिना पहले से ही जूझ रही आरजेडी के लिए तेजस्वी यादव पर कोरोना का साया किसी आपदा से कम नहीं है।
पार्टी के सीनियर नेता रघुवंश प्रसाद सिंह पर टिप्पणी की वजह से लालू के सामने उनकी पेशी हो रही है। पूछने पर तेजप्रताप ने बताया कि बहुत दिन से मिला नहीं, इसलिए जा रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह एम्स में इलाज करा रहे हैं। उन्हें कोरोना हो गया था। पटना एम्स में इलाज के बाद वो ठीक हो गए रिपोर्ट भी निगेटिव आई, मगर उनकी तबियत लगातार खराब बनी रही।
श्याम रजक बिहार की राजनीति का बड़ा दलित चेहरा हैं। बिहार में करीब 16 फीसदी वोटर दलित समाज से हैं। एक जमाने में आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे। उनकी और राम कृपाल की जोड़ी राम-श्याम की जोड़ी कही जाती थी। पार्टी कोई भी हो, फुलवारी से लंबे समय से श्याम रजक ही जीतते रहे हैं।