Bhanu Saptami 2021: इन दिनों हिंदू पंचांग का दसवां महीना पौष चल रहा है। पौष महीने में सूर्य पूजा का बहुत महत्व है। ग्रंथों के मुताबिक इस महीने सूर्य को भग स्वरूप की पूजना चाहिए। रविवार को सप्तमी तिथि होने से भानु सप्तमी का योग बनता है, लेकिन पौष महीने में ऐसा संयोग कम ही बनता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब सूर्य धनु या मीन राशि में होता है तो उस समय को खर मास (Khar month 2021) कहते हैं। इस बार 16 दिसंबर से सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुका है। सूर्य इस राशि में 14 जनवरी तक रहेगा।
इस बार 14 दिसंबर, मंगलवार को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi 2021) है। धर्म ग्रंथों में इस एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो व्यक्ति व्रत और पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कार्तिक मास में छठ पूजा करने वाली महिलाएं अगहन और वैशाख महीने में भी भगवान सूर्य की पूजा करती हैं। मार्गशीर्ष महीने की सप्तमी तिथि और रविवार को उगते हुए सूरज को जल चढ़ाया जाता है और दिनभर व्रत रखकर श्रद्धानुसार जरूरतमंद लोगों को दान दिया जाता है।
मस्तक पर तिलक लगाना हिंदू परंपराओं में से एक है। पुरातन समय में तिलक लगाना अनिवार्य माना जाता है। तिलक लगाए बिना की गई पूजा भी मान्य नहीं थी, लेकिन बदलते समय के साथ इस परंपरा में भी बदलाव आ गया है। अब लोग विशेष अवसरों पर भी तिलक लगाते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार जब सूर्य गुरु की राशि धनु या मीन में होता है तो इस समय को खर मास (Khar maas 2021) कहते हैं। इस मास से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं। इस बार 16 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खर मास शुरू हो जाएगा, जो 14 जनवरी तक रहेगा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह त्रेतायुग में मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को हुआ था। इसलिए इस तिथि को विवाह पंचमी (Vivah Panchami 2021) के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये शुभ तिथि 8 दिसंबर, बुधवार को है। इस दिन प्रमुख राम मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं।
आज (4 दिसंबर, शनिवार) अगहन महीने की अमावस्या है। इस दिन शनिवार होने से इसका फल और बढ़ गया है। इसे शनैश्चरी या शनिचरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2021) कहा जाएगा। शनिवार को अमावस्या तिथि दोपहर करीब 1.15 तक रहेगी।
जन्मकुंडली में शनि देव के विपरीत भाव में होने से जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आती ही रहती हैं। विशेषतः शनि की साढ़ेसाती, ढय्या, महादशा में यह समस्याए अपने चरम बिंदु पर पहुच सकती है।
आयुर्वेद के दृष्टिकोण से लौंग को बहुत ही गुणकारी माना गया है। इसका उपयोग अनेक बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इसके साथ ही लौंग का प्रयोग रसोई में मसाले के रूप में भी किया जाता है। इससे भोजन का स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही इसका औषधीय गुणों का लाभ भी हमें मिलता है।