सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए निर्णय में जजों की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले को रद्द कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने 2010 के निर्णय में पाया कि हिंदू और मुस्लिम विवादित भूमि पर एक साथ कब्जे में थे। जिसके कारण विवादित स्थल का तीन-तरफा विभाजन किया गया, जो सामाजिक शांति के लिए सही नहीं थे।