Shankaracharya Swaroopanand Saraswati: हिंदुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु माने जाने वाले शंकाराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का 11 सितंबर, रविवार को 99 साल की आयु में निधन हो गया। वे काफी समय से बीमार थे, बेंगलुरु में उनका इलाज चल रहा था।
दूल्हा-दुल्हन के बिना क्या कोई शादी हो सकती है। नहीं ना..लेकिन हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर दूल्हा घर में कैद रहता है और दुल्हन की शादी हो जाती हैं।
Shraddha Paksha 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा पितृलोक में निवास करती है। पितृलोक में निवास करते हुए पूर्वजों की आत्मा अपने वंशजों से ये आशा रखती है कि श्राद्ध के दिनों में वे उनके लिए तर्पण, पिंडदान आदि करेंगे।
मथुरा जिले के विश्व प्रसिद्ध मंदिर में 5000 साल पुरानी परंपरा नहीं टूटी है। राधा अष्टमी के मौके पुरुष सेवादारों ने ही मंदिर की पूजा संपन्न करवाई है। मंदिर में महिला सेवादार के पूजा करवाने की चर्चा थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
दुनिया में सेक्स से जुड़ी अलग-अलग परंपरा है। कई जनजाति जो अभी भी समाज के मुख्यधारा से दूर हैं वो अभी भी अपने अजीबोगरीब रस्म को निभाते हैं। इसी में एक पश्चिमी केन्या की लुओ जनजाति है। इस जनजाति में अजीब परंपरा निभाई जाती है।
Dahi Handi 2022: हिंदू धर्म में हर व्रत-त्योहार से कोई न कोई परंपरा और मान्यता जरूर जुड़ी होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से भी एक ऐसी ही परंपरा जुड़ी है। ये परंपरा है दही हांडी की। हर साल जन्माष्टमी के मौके पर पूरे देश में दही हांडी की परंपरा निभाई जाती है।
हमने कई अजब गजब परंपराओं के बारे में सुना और देखा होगा, लेकिन आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बताते हैं जहां लोग बीमारी को दूर करने के लिए अपने शरीर को ही छेद देते है और इसमें नाड़े को पिरो देते हैं।
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) वैसे तो भाई-बहन का त्योहार है। क्योंकि इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। इस बार ये त्योहार 11 व 12 अगस्त को मनाया जाएगा, ऐसा पंचांग भेद होने के कारण होगा।
बिहार में भगवान को बुधवारी पूजा में गोरिया बाबा को शराब चढ़ाने की परंपरा ने छीनी लोगों की जिंदगी। पूजा के बाद बांटी गई थी जहरीली शराब जिससे 100 से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे वहीं अभी तक 11 लोगों की जान जा चुकी है, तो 4 अभी भी गंभीर हालत में इलाजरत है...
हजारीबाग में धनरोपनी शुरू करने की संस्कृति अनोखी है। यहां परंपरा है कि पहले गांवाट की पूजा की जाती है। तब धनरोपनी शुरू होती है। कुलदेवता को महुआ शराब को टपान से पूजा पाठ करते हैं। उसके बाद धान की खेती शुरू होती है।