इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने नई कोविड वैक्सीन RS2 बनाने में सफलता पाई है। पशुओं पर किए गए परीक्षण से यह बात पता चली है कि यह शक्तिशाली इम्यूनिटी पैदा करने वाली कारगर वैक्सीन है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी पूर्व योग्य टीकों की सूची में दूसरा मलेरिया टीका जोड़ा है। यह टीका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने बनाया है।
भारत सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत बायोटेक द्वारा बनाई गई नेजल वैक्सीन इन्कोवैक (Incovacc) को बूस्टर डोज के लिए मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कंपनी ने इसकी कीमत को लेकर भी खुलासा किया है।
चीन में बेकाबू हुए कोरोना के नए वेरिएंट BF.7 (जिसे एक्सपर्ट ने BA.5.2.1.7 नाम दिया है) को लेकर भारत में अलर्ट के चलते राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा पर भी संकट मंडराने लगा है। माना जा रहा है कि यह यात्रा कश्मीर पहुंचने से पहले कैंसल हो सकती है।
भारत दुनिया के लिए वैक्सीन का एक महत्वपूर्ण निर्माता है। यह बात व्हाइट हाउस ने ग्लोबल लेवल पर COVID-19 के खिलाफ वैक्सीन की आपूर्ति में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए कही।
कोविड-19 महामारी से लड़ाई में भारत ने एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। देश में पहली नेजल वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने अप्रूव किया है। भारत बायोटेक नेजल वैक्सीन का देश में निर्माण करेगा।
पिछले हफ्ते, कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख एनके अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली में ओमीक्रॉन के स्ट्रेन इस साल जनवरी में सामने आए बेस स्ट्रेन की तुलना में अधिक संक्रामक हैं। उन्होंने कहा कि इस बीच, संक्रमण को रोकने में वैक्सीन्स की प्रभावशीलता 20 से 30 प्रतिशत तक कम हो गई है।
कोरोना संक्रमण के नए मामलों में थोड़ी गिरावट आई है। नए केस 20 हजार के नीचे चले गए हैं। वैक्सीनेशन का आंकड़ा 205.92 करोड़ हो चुका है। पिछले 24 घंटों में 32,73,551 डोज दी गईं। एक्टिव केस 0.31% हैं, जबकि रिकवरी रेट अभी भी 98.50% बनी हुई है।
भारत ने कोरोना वैक्सीन के 200 करोड़ से अधिक डोज लगाकर कोरोना महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक मील का पत्थर रखा है। 18 महीनों के अंदर देश के लोगों को 200 करोड़ से अधिक डोज लगाए गए।
भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) ने शुक्रवार को एक बड़ा खुलासा किया है। BBIL ने कहा कि उसकी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन(Covaxin) सेकंड और थर्ड फेज की स्टडी में बच्चों के ट्रीटमेंट(paediatric) से संबंधित मामलों में सुरक्षित, सहनशील और अत्यधिक इम्युनोजेनिक साबित हुई है।