डायरेक्टर नितेश तिवारी की 600 करोड़ के बजट वाली फिल्म रामायण में महेश बाबू ने काम करने से मना कर दिया है। दरअसल, उन्होंने बाहुबली के डायरेक्टर एसएस राजामौली की एक अपकमिंग फिल्म के लिए रामायण जैसा बिग बजट फिल्म को छोड़ दिया है।
रामायण हिंदुओं का एक प्रमुख पवित्र ग्रंथ है। जिसमें अनुशासन, मर्यादा और कर्तव्यों की शिक्षा दी गई है। रामायण के हर प्रसंग में कुछ-न-कुछ ऐसी बातें जरूर है जिसे देखकर और सीखकर अपने जीवन में पालन करना चाहिए।
केटीएस तुलसी अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मिलकर यह किताब भेंट की है। इस दौरान पीएम मोदी और केटीएस तुलसी के बीच काफी देर तक गुरु गोविंद सिंह, गुरुवाणी शबद और सिख धर्म के महान सिद्धांतों के बारे में भी काफी देर तक चर्चा हुई।
शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) प्राचीन भारतीय ज्ञान और परंपरा को लेकर 100 मदरसों में नया सिलेबस शुरू करने जा रहा है।
रामायण में अनेक पात्र हैं, उनमें वानरराज सुग्रीव और बालि भी प्रमुख हैं। ये दोनों भाई थे, जो किष्किंधा नामक स्थान पर निवास करते थे। बालि का वध स्वयं भगवान श्रीराम ने किया था जबकि सुग्रीव ने देवी सीता की खोज में उनकी मदद की थी।
पिछले ढाई महीने से देश में किसान आंदोलन का मुद्दा चर्चा में है। इस मामले में स्वीडन की एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और अमेरिकी पॉप सिंगर रिहाना के ट्वीट के बाद मामला और ज्यादा गर्मा गया है। इसी बीच रामायण में लक्ष्मण का किरदार निभा चुके एक्टर सुनील लहरी ने रिहाना के ट्वीट पर रिएक्ट करते हुए जमकर लताड़ लगाई है।
महाभारत के बाद अब बॉलीवुड रामायण (Ramayan) पर भी फिल्म बनाने की तैयारी कर चुका है। यह कोई शॉर्ट फिल्म या एनिमेशन नहीं बल्कि बड़े बजट की फिल्म होगी। इस फिल्म को मधु मंतेना की प्रोडक्शन कंपनी बनाएगी और इसकी लागत करीब 300 करोड़ रुपए होगी। मधु मंतेना अपनी इस फिल्म के जरिए बड़े पर्दे पर रामायण की कहानी को भव्यता के साथ दिखाना चाहते हैं।
31 अक्टूबर शनिवार, को महर्षि वाल्मीकि की जयंती है। पुराणों के अनुसार, इन्होंने कठिन तपस्या कर महर्षि पद प्राप्त किया था। ब्रह्माजी के कहने पर इन्होंने भगवान श्रीराम के जीवन पर आधारित रामायण नाम का महाकाव्य लिखा।
बहुत सारे लोग इस बात को सच मान रहे हैं। यूजर ने यह दावा करने वाली एक पोस्ट पर कमेंट किया, “हमारे देश में रामायण पढ़ाना कब अनिवार्य होगा?” इसी तरह एक अन्य यूजर ने लिखा, “भारत कब जागेगा?”
जो सोचते हैं कि एक अकेले वोट से कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें 24 साल पहले गुजरात की बड़ौदा या बड़ोदरा (Vadodara Lok Sabha constituency) लोकसभा सीट पर हार-जीत के अंतर को देख लेना चाहिए।