9 जून, मंगलवार से शुक्र ग्रह उदय हो चुका है। इसके साथ ही मांगलिक और शुभ कामों पर लगी रोक भी हट गई है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार, शुक्र ग्रह 30 मई को अपनी ही राशि वृष में अस्त हो गया था, जिसके कारण मांगलिक कामों पर रोक लगी हुई थी।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार गृहप्रवेश, मुंडन, शादी, सगाई और अन्य मांगलिक कामों के लिए शुभ महीन, तिथि, वार, नक्षत्र और शुभ दिन का विचार किया जाता है। इन सबको देखते हुए ही किसी शुभ काम के लिए मुहूर्त निकाला जाता है।
इस बार 26 अप्रैल, रविवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया है। इस तिथि को ही अक्षय तृतीया और आखातीज भी कहते हैं। भारतीय कालगणना के अनुसार चार श्रेष्ठ सिद्ध मुहूर्त हैं, उनमें से एक अक्षय तृतीया भी है। अक्षय का अर्थ जिसका कभी क्षय ना हो, जो हमेशा रहे।
इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर, शुक्रवार को है। आमतौर पर देवउठनी एकादशी के ही दिन से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा। ग्रह के योग के कारण शुभ कार्यों के लिए लोगों को 10 दिन इंतजार करना होगा।
हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य खासतौर पर विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष में शुभ मुहूर्त निकालने के लिए ग्रह नक्षत्रों की गणना की जाती है। चातुर्मास समाप्त होने के बाद नवंबर माह में देवउठनी एकादशी से विवाह आरंभ हो चुके हैं।