अप्रैल 2022 के अंतिम 3 दिनों (28, 29 और 30) में व्रत-उत्सवों का सुखद योग बन रहा है। इस संयोग मे शिव पूजा, शनि पूजा और पितृ पूजा करना शुभ फल देने वाला रहेगा। ऐसे संयोग कम बार ही बनता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश के निमित्त व्रत किया जाता है। इस तरह एक साल में 24 चतुर्थी तिथि होती है। लेकिन इन सभी में 4 चतुर्थी को बहुत ही विशेष माना गया है। इन्हें बड़ी चतुर्थी भी कहते हैं।
हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख (Vaishakh month 2022) आज (17 अप्रैल, रविवार) से शुरू हो चुका है। ये महीना 16 मई तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार एक हिंदू मास में दो पक्ष होते हैं शुक्ल और कृष्ण। इन दोनों ही पक्षों की एकादशी तिथि बहुत ही खास होती है। इस तिथि का विशेष महत्व पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
प्रयागराज की नैनी जैल में सैकड़ों की संख्या में कैदी नवरात्रि और रोजा रखे हुए हैं। जेल प्रशासन की ओर से इनके लिए अलग से इंतजाम किए गए हैं। जेल में पहले दिन तकरीबन 1532 कैदियों ने नवरात्रि का उपवास रखा।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत (Saubhagya Sundari Vrat 2022) किया जाता है। इस दिन महिलाएं देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा करती हैं। इस बार ये व्रत 4 अप्रैल, सोमवार को है।
नवरात्र में व्रत के दौरान अगर आपका कुछ चटपटा खाने का मन है मन, तो एक बार ये फलहारी दही भल्ले जरूर ट्राई करें...
हरीश रावत यहां ओल्ड मसूरी रोड स्थित आवास पर सुबह 11 से दोपहर 12 बजे एक घंटे तक मौन उपवास पर बैठे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक डर का वातावरण पैदा किया जा रहा है, उसके खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए मैंने एक घंटे का मौन उपवास रखा था।
हिंदू धर्म में घर-परिवार की सुख-समृद्धि और परेशानियों को दूर करने के लिए अनेक व्रत आदि कीए जाते हैं। दशा माता व्रत (Dasha Mata Puja 2022) भी उनमें से एक है। ये व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। इस बार ये तिथि 27 मार्च, रविवार को है।
हमारे धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत बताए गए हैं। प्रदोष व्रत भी उनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। ये व्रत विभिन्न वारों के साथ मिलकर शुभ योग बनाता है।