धर्म ग्रंथों में वैशाख मास का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इस महीने को माधव मास भी कहते हैं। इस बार वैशाख मास की पूर्णिमा (Vaisakhi Purnima 2022) 15 और 16 मई को यानी 2 दिन रहेगी।
Fasting rules on Pradosh 2022: हर व्रतों में प्रदोष व्रत का बेहद महत्व होता है। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए महीने में दो बार प्रदोष का व्रत आता है। ऐसे में व्रत के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, किस तरह व्रत का पालन करना चाहिए आइए हम आपको बताते हैं।
धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के अनेक उपाय व व्रत बताए गए हैं। प्रदोष भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।
वैशाख मास (Vaishakh month 2022) का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इसे माधव मास भी कहते हैं। इस महीने में जलदान करने यानी प्यासे लोगों को पानी पिलाने का विशेष महत्व बताया गया है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल यानी शाम के समय की जाती है, इसलिए इस व्रत का प्रदोष रखा गया है।
धर्म ग्रंथों में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत किए जाते हैं। प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) भी इनमें से एक है। ये व्रत प्रत्येक हिंदू महीने के दोनों पक्षों (शुक्ल व कृष्ण) की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।
धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, एक महीने में 2 एकादशी तिथि आती है। इस तरह साल में कुल 24 एकादशी होती हैं। ये सभी भगवान विष्णु को प्रिय है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी (Sita Navami 2022) का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर माता जानकी धरती में से प्रकट हुई थीं। इस बार ये तिथि 10 मई, मंगलवार को है।
हिंदू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख है। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। ये महीना 16 मई तक रहेगा। भगवान विष्णु को प्रिय होने के कारण इसे माधव मास भी कहते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार प्रत्येक मास के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2022) किया जाता है। इस व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 28 अप्रैल, गुरुवार को वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।