हिंदू धर्म में पति की लंबी उम्र और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए कई व्रत किए जाते हैं। वट सावित्री पूर्णिमा (Vat Purnima Vart 2022) भी उनमें से एक है। ये व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर किया जाता है।
इस बार 11 जून, शनिवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है। धर्म ग्रंथों में इसे त्रिविक्रम द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है।
हिंदू धर्म में वैसे तो हर एकादशी का अपना अलग महत्व बताया गया है, लेकिन इन सभी में निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि इसके नियम बहुत कठिन हैं।
हिंदू धर्म में हर तिथि का एक विशेष महत्व बताया गया है। इन सभी तिथियों में एकादशी तिथि का महत्व सबसे अधिक है क्योंकि इसके स्वामी स्वयं भगवान विष्णु है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2022) का व्रत किया जाता है। इस एकादशी का महत्व साल भर में आने वाली सभी 23 एकादशियों से अधिक माना गया है।
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा विशेष रूप से की जाती है और व्रत भी रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, उसके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि आती है। इस तरह एक माह में दो चतुर्थी का योग बनता है। इन दोनों ही चतुर्थी तिथि पर भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 90 के दशक में शिमला की एक महिला को साबूदाना खिचड़ी बनाना सिखाया था। इसके साथ ही उनके नवरात्रि व्रत को लेकर कुछ अनसुनी बातें भी सामने आई है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रंभा तीज (Rambha Teej 2022) का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 2 जून, गुरुवार को किया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2022) किया जाता है। ये व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की इच्छा से करती हैं और कामना करती हैं कि उनके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे। इस बार ये व्रत 30 मई, सोमवार को है।