इस बार 20 जुलाई, मंगलवार को देवशयनी एकादशी है। इसे हरिशयनी एकादशी भी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक पाताल में शयन करते हैं।
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने से समस्त पापों का नाश होता है साथ ही घर-परिवार में स्वास्थ के साथ सुख-समृद्धि आती है।
आषाढ़ मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को शीतलाष्टमी व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 2 जुलाई, शुक्रवार को है। इस दिन मुख्य रूप से शीतला देवी की पूजा की जाती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में 12 भाव या घर होते हैं। इन्हीं घरों में 9 ग्रह अलग-अलग स्थानों पर बैठे होते हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली में कोई न कोई घर ऐसा होता ही है, जिसमें कोई ग्रह नहीं होता।
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी होती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। इस बार यह व्रत 27 जून, रविवार को है।
हिंदू कैलेंडर का नया महीना आषाढ़ 25 जून से शुरू हो चुका है, जो 24 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में भड़ली नवमी और देवशयनी एकादशी जैसे बड़े व्रत और पर्व रहेंगे।
हिंदू धर्म में पति की लंबी उम्र के लिए वट सावित्री व्रत किया जाता है। हर साल यह व्रत देश के कुछ हिस्सों में ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को तो कुछ हिस्सों में पूर्णिमा को किया जाता है।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 21 जून, सोमवार को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत करने से वर्ष की सभी एकादशियों का फल प्राप्त हो जाता है।
वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और संतानहीन स्त्रियां गुणवान संतान पाने के लिए रखती हैं।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा या अचला एकादशी कहते हैं। इस बार ये एकादशी 6 जून, रविवार को है।