इन दिनों पवित्र श्रावण मास चल रहा है। इस महीने में भगवान शिव के पूजन करने का विशेष महत्व है। हमारे धर्म ग्रंथों में भगवान शिव की अनेक अवतारों के बारे में भी बताया गया है, लेकिन बहुत कम लोग शिव के इन अवतारों के बारे में जानते हैं।
शनिदेव से संबंधित अनेक कथाएं ग्रंथों में मिलती हैं। उनमें से एक कथा राजा दशरथ से भी जुड़ी है, जब वे शनिदेव से लड़ने के लिए तैयार हो गए थे।
इस बार 22 मई, शुक्रवार को शनि जयंती है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष फल मिलता है। शनिदेव से जुड़ी कई परंपराएं और मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं।
शनि जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 22 मई, शुक्रवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था।
इस बार 22 मई, शुक्रवार को शनि जयंती है। इस दिन शनिदेव की पूजा मुख्य रूप से की जाती है।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस बार शनि जयंती का पर्व 22 मई, शुक्रवार को है।
ज्योतिष में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं, इनमें शनि ग्रह को न्यायाधीश माना गया है। कुंडली में शनि की स्थिति का हमारे जीवन पर सीधा असर होता है।
8 अप्रैल, बुधार को हनुमान जयंती है। वैसे तो हमारे देश में हनुमानजी के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इनमें से कुछ मंदिर बहुत खास हैं। ऐसा ही एक मंदिर है गुजरात के भावनगर में।
उज्जैन। इस बार 21 मार्च, शनिवार को शनि प्रदोष का योग बन रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा का विशेष फल मिलता है। शनि के अशुभ असर से बचने के लिए शनि के दस नाम वाले मंत्र का जाप करना चाहिए। ये मंत्र जाप शनि प्रदोष पर करने से शुभ फल मिल सकते हैं। ये है शनि के दस नामों का मंत्र-
दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं, जिनका इतिहास रहस्यों से भरा हुआ है। लेकिन आज तक उसकी तह तक कोई नहीं पहुंच पाया है। ऐसी ही एक जगह टांगीनाथ धाम है।