हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने के दोनों पक्षों में आने वाली त्रयोदशी तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 29 जनवरी, शनिवार को है।
14 जनवरी, शुक्रवार को सूर्यदेव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के कारण ही इस दिन मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) पर्व मनाया जाएगा। मकर राशि के स्वामी शनिदेव हैं। अगर ये कहा जाए तो पिता सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में प्रवेश कर रह हैं तो गलत नहीं होगा। ज्योतिषिय आधार पर ये सही भी है। इसलिए इस पर्व में जितना महत्व सूर्यदेव का ही उतना ही महत्व शनिदेव का भी है।
जन्मकुंडली में शनि देव के विपरीत भाव में होने से जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आती ही रहती हैं। विशेषतः शनि की साढ़ेसाती, ढय्या, महादशा में यह समस्याए अपने चरम बिंदु पर पहुच सकती है।
4 दिसंबर, शनिवार को अमावस्या तिथि होने से शनिश्चरी अमावस्या का योग इस दिन बन रहा है। शनि को न्याय का देवता माना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि साढ़ेसाती में अच्छे-बुरे कर्मों का फल मिलता है। इसलिए शनि को प्रसन्न करना जरूरी है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। शनि न्यायाधिपति भी हैं जो हर व्यक्ति को उसके कर्मानुसार देते हैं। शनि सूर्यपुत्र हैं, लेकिन फिर भी ज्योतिष में ये दोनों ग्रह एक-दूसरे से शत्रु भाव रखते हैं। शनि सबसे धीरे चलने वाला ग्रह है। ये ग्रह लगभग ढाई साल में राशि बदलता है।
इस बार 4 सितंबर, शनिवार को बहुत ही शुभ योग बन रहा है। इस शुभ योग में शनिदेव (Shani dev) की पूजा और उपाय करने से आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं साथ ही साढ़ेसाती और ढय्या से परेशान लोगों को राहत मिल सकती है।
अंक ज्योतिष के अनुसार, ग्रह नक्षत्रों का हमारे जीवन के साथ काफी खास रिश्ता है। अगर व्यक्ति का किसी खास तारीख या नक्षत्र में जन्म हुआ है, तो उससे संबंधित ग्रह व्यक्ति के जीवन में खूब कृपा बरसाता है।
शनि जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। इसे शनि अमावस्या भी कहा जाता है। इस बार ये तिथि 10 जून, गुरुवार को है।
इस बार 10 जून, गुरुवार को शनि जयंती है। शनिदेव के बारे में कहा जाता है इनकी नजर जिस पर भी पड़ती है उसके बुरे दिन शुरू हो जाते हैं, साथ ही यह भी कहा जाता है कि इनकी गति बहुत मंद यानी धीमी है।
इस बार शनि जयंती 10 जून, शुक्रवार को है। इस दिन शनिदेव के उपाय करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं और साढ़ेसाती व ढय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।