इस बार 14 जुलाई, गुरुवार से सावन मास (Sawan 2022) शुरु हो रहा है। इस महीने का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है क्योंकि ये महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। हर कोई अपने आराध्य देव की एक झलक पाने के लिए घंटों तक इंतजार करने को तैयार रहता।
ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की पूजा की मांग कर रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का अनशन समाप्त हो गया है। उनके द्वारा कहा गया कि हम लोग देश के साधु संतों को एकजुट कर देशभर में अभियान चलाएंगे।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी धूमावती की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 7 जून, मंगलवार को है (पंचांग भेद के कारण कुछ स्थानों पर 8 जून को भी ये पर्व मनाया जाएगा)।
शिवलिंग पर दर्शन-पूजन करने की मांग को लेकर अनशनरत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र सोमवार को विशेष न्यायाधीश अनुतोष शर्मा की अदालत में सुनवाई हुई। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से वकील अरुण कुमार त्रिपाठी ने अपना पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से भी अदालत में वकील भी मौजूद रहे।
ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की पूजा का ऐलान करने वाले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया है। उनके द्वारा 4 जून को शिवलिंग की पूजा का ऐलान बीतों दिनों किया गया था।
हिंदू धर्म में व्रत-उपवास करने की परंपरा हजारों साल पुरानी है। कुछ व्रत साल में एक बार किए जाते हैं तो कुछ हर महीने। शिव चतुर्दशी (shiv chaturdashi 2022) भी ऐसा ही एक व्रत है।
धर्म ग्रंथों में भगवान शिव की पूजा के लिए कई विशेष तिथियां बताई गई हैं। त्रयोदशी भी इनमें से एक है। इस दिन किए जाने वाले व्रत को प्रदोष कहते हैं। ये व्रत अलग-अलग वारों के साथ भिन्न-भिन्न योग बनाता है।
काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत डॉ कुलपति तिवारी ने कहा कि वह सर्वे में मिले शिवलिंग को लेकर जल्द ही कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। इस दौरान पूजन, आरती और भोग का अधिकार मांगा जाएगा।
अप्रैल 2022 के अंतिम 3 दिनों (28, 29 और 30) में व्रत-उत्सवों का सुखद योग बन रहा है। इस संयोग मे शिव पूजा, शनि पूजा और पितृ पूजा करना शुभ फल देने वाला रहेगा। ऐसे संयोग कम बार ही बनता है।
हिंदू धर्म में सिर्फ देवताओं को ही नहीं बल्कि असुरों की भी पूजा की जाती है। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो असुरों पर आधारित हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand) के पौड़ी जिले के पैठाणी गांव (Paithani Village) में स्थित है। ये मंदिर राहु का है, जो एक छाया ग्रह भी है।