शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे गुट को मिलने के बाद महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में तूफान बरपा हुआ है। चुनाव आयोग के इस आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। वहीं, राउत ने शिंदे के बेटे से अपनी जान का खतरा बताया है।
18 फरवरी को चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को 'शिवसेना' नाम और 'धनुष और तीर' चिन्ह के इस्तेमाल करने का फैसला दिया था। चुनाव आयोग का निर्णय आने के बाद शिंदे ने शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी।
शिवसेना का नाम और सिंबल, चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। इसको लेकर उद्धव ठाकरे गुट ने ऐतराज जताया है।
सोनू निगम ने चेम्बूर, मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान अपने साथ हुई बदसलूकी मामले में पुलिस शिकायत दर्ज कराई है। आरोपी शिवसेना विधायक का बेटा बताया जा रहा है। दूसरी ओर शिवसेना ने किसी भी तरह के असॉल्ट के मामले से इनकार किया है।
शिवसेना का नाम और सिंबल लेने के लिए एकनाथ शिंदे कैंप पर छह महीना में कम से कम 2000 करोड़ रुपये की लेनदेन करने का आरोप उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने लगाया है।
शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने दावा किया है कि पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न छीनने के लिए 2 हजार करोड़ रुपए की लेनदेन हुई है। चुनाव चिह्न को खरीदा गया है।
चुनाव आयोग के फैसले से ठाकरे परिवार को जबर्दस्त झटका लगा था। शिवसेना का गठन बाला साहेब ठाकरे ने 1966 में किया था।
एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना की पहचान मिली है। अब शिंदे गुट को तीर-कमान सिंबल भी मिल जाएगा।
कर्नाटक का कहना है कि सीमांकन अंतिम है और इसमें कोई बदलाव नहीं हो सकता है। जो क्षेत्र हमारे राज्य में है हमारा ही रहेगा। एडीजी लॉ एंड आर्डर आलोक कुमार ने कहा कि अगर कर्नाटक में महाराष्ट्र के सांसद के आगमन से कानून और व्यवस्था को खतरा होता है तो हम कार्रवाई शुरू करेंगे।
शिवसेना की लड़ाई चुनाव आयोग में पहुंचने के बाद चुनाव चिह्न को 8 अक्टूबर को सील कर दिया गया था। उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुटों ने खुद को असली शिवसेना बताते हुए सिंबल और पार्टी के नाम पर दावा किया है।