इस बार श्राद्ध पक्ष की शुरूआत 2 सितंबर से होगी, जो 17 सितंबर तक रहेगा। इन 16 दिनों में पितरों की आत्मा की शांति के लिए रोज श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किए जाते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष होता है। इस बार श्राद्ध पक्ष 2 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो 17 सितंबर तक रहेगा।
इस बार पितृपक्ष की शुरुआत 2 सितंबर से हो रही है जो कि 17 तारीख तक रहेगा। इन दिनों में पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाएगा। इस बार तिथियों की घट-बढ़ के बावजूद पितरों की पूजा के लिए 16 दिन मिल रहे हैं। आमतौर पर पितृपक्ष खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्रि शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब पितृपक्ष के खत्म होने के एक महीने बाद नवरात्र शुरू होंगे।
इस बार 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इसी दिन से चातुर्मास शुरू हो जाएंगे। चातुर्मास मतलब वो चार महीने जब शुभ काम वर्जित होते हैं।
यूपी के वाराणसी में 25 साल बाद एक शख्स अपने परिवार से मिला। गौर करने वाली बात ये है कि परिवार शख्स को मरा समझकर उसके अंतिम श्राद्ध की तैयारी कर रहा था। लेकिन इस बीच शख्स को जिंदा पाकर परिवार खुशी से झूम उठा।
बिहार के गया को सबसे बड़ा पितृ तीर्थ माना जाता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां लाखों लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करने आते हैं।
यूं तो हमारे देश में श्राद्ध, पिंडदान व तर्पण के लिए कई तीर्थ हैं, लेकिन उनमें से कुछ तीर्थ ऐसे भी हैं, जिनका वर्णन धर्म ग्रंथों में भी मिलता है।
बहुत से लोगों को अपने परिजनों की मृत्यु की तिथि याद नहीं रहती, ऐसी स्थिति में शास्त्रों में इसका भी निवारण बताया गया है
अगर आप किसी कारणवश शास्त्र के अनुसार विधानों से न कर पाएं, तो एक आसान विधि से भी श्राद्ध कर सकते हैं
हमारे धर्म शास्त्रों में श्राद्ध पक्ष में कुछ कामों के लिए मनाही है, वहीं कुछ बातें जरूरी बताई गई हैं