सार
Chanakya Niti: हर व्यक्ति चाहता है कि बुढ़ापे में उसे किसी तरह की कोई परेशानी न हो। इसके लिए वह जवानी में ही कई प्रयास करता है। वह पैसे बचाता है और सेहत का भी खास ध्यान रखता है। यही खास बातें उसे बुढ़ापे में कई परेशानियों से बचाती है।
उज्जैन. आचार्य चाणक्य भारत के प्रमुख विद्वानों में से एक थे। उन्होंने अनुशासित जीवन की दिशा हमें दिखाई। आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) ने अपने जीवन काल में कई ग्रंथों की रचना की, उनमें से नीति शास्त्र भी एक है। नीति शास्त्र को चाणक्य नीति के नाम से भी जाना जाता है। इस ग्रंथ में मनुष्यों की हर परेशानी का हल छिपा है। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि किन बातों का ध्यान रखने पर बुढ़ापे में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। ये बातें आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आगे जानिए कौन-सी हैं वो बातें…
धन का सदुपयोग
आचार्य चाणक्य के अनुसार, बहुत से लोग बुढ़ापे के लिए पैसा बचाते हैं, लेकिन सिर्फ पैसा बचाना ही ठीक नहीं है। धन का सदुपयोग जो लोग करते है, वे ही बुढ़ापे में सुखी रहते हैं। सदुपयोग से अर्थ है इन्वेस्टमेंट। पैसो बचाने से तो वह उतना ही रहेगा, उसमें कोई बढ़ोत्तरी नहीं होगी, लेकिन जो लोग जवानी में पैसा सही जगह इन्वेस्ट करते हैं उन्हें बुढ़ापे में पैसों के लिए भटकना नहीं पड़ता।
जीवन में अनुशासन
जो लोग जीवन में अनुशासन बनाकर रहते हैं, उन्हें भी बुढ़ापे में परेशानियां नहीं होती है। अनुशासन से अर्थ है जो लोग अपने शरीर का ठीक तरीके से ध्यान रखते हैं जैसे किसी तरह का कोई व्यसन नहीं करते और नियमित रूप से शरीर की जांच करवाते रहते हैं। साथ ही चिकित्सक की बातों को मानते हैं। ऐसे लोगों की सेहत बुढ़ापे में भी ठीक रहती है और वे खुश रहते हैं।
परिजनों का साथ
बुढ़ापे में अगर परिवार वाले साथ हो तो किसी बात का कोई दुख नहीं रहता। लेकिन इसके लिए हमें जवानी में ही तैयारी करनी चाहिए। बच्चों को ऐसे संस्कार दें कि वह अपने बुजुर्गों का सम्मान करें और परिवार में सामंजस्य बनाकर रखें। बुढ़ापे में परिवार को खुशहाली और एकजूट देखने से बड़ी खुशी और कोई नहीं हो सकती।
मन में संतुष्टि
कुछ लोगों के पास कितना भी पैसा हो और वे कितने भी तंदुरुस्त क्यों न हों, लेकिन उनके मन में संतुष्टि का भाव नही रहता। ऐसे लोग बुढ़ापे में तो क्या जवानी में भी खुश नहीं रहते। बुढ़ापा शरीर का अंत समय होता है, इस स्थिति में सभी को मन में संतुष्टि का भाव रखना चाहिए। तभी वह खुश रह सकता है। यही भाव जीवन के अंत समय में आपको ईश्वर से जोड़ता है।
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