सार
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवों की आत्मा यमलोक जाती है, यहां यमराज बुरे कर्मों के आधार पर उसे दंड देते हैं। पुराणों में यमराज और यमलोक से जुड़े कई रहस्य बताए गए हैं जैसे यमपुरी कैसी दिखती है, बुरे कर्म करने वाले लोगों को किस प्रकार वहां प्रताड़ित किया जाता है आदि-आदि।
उज्जैन. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मृत्यु के बाद जीवों की आत्मा यमलोक जाती है, यहां यमराज बुरे कर्मों के आधार पर उसे दंड देते हैं। पुराणों में यमराज और यमलोक से जुड़े कई रहस्य बताए गए हैं जैसे यमपुरी कैसी दिखती है, बुरे कर्म करने वाले लोगों को किस प्रकार वहां प्रताड़ित किया जाता है आदि-आदि। आज हम आपको बता रहे हैं किस धर्म ग्रंथ में यमराज और यमलोक के बारे में क्या लिखा है…
1. यमराज का ही दूसरा नाम धर्मराज है क्योंकि यह धर्म और कर्म के अनुसार जीवों को अलग-अलग लोकों और योनियों में भेजते हैं। धर्मात्मा व्यक्ति को यह कुछ-कुछ विष्णु भगवान की तरह दर्शन देते हैं और पापियों को उग्र रुप में।
2. मृत्यु के बाद परलोक में जीव सबसे पहले यमराज और वरुण को देखता है।
3. पद्म पुराण में उल्लेख मिलता है कि यमलोक पृथ्वी से 86,000 योजन यानी करीब 12 लाख किलोमीटर दूर है।
4. यमलोक में पुष्पोदका नामक एक नदी है जिसका जल शीतल और सुगंधित है। इस नदी में विशाल जांघों वाली अप्सराएं क्रीड़ा करती रहती हैं।
5. यमराज की नगरी की लंबाई करीब 48 हजार किलोमीटर और चौराई 24 हजार किलोमीटर है।
6. ऋग्वेद में कबूतर और उल्लू को यमराज का दूत बताया गया है। गरुड़ पुराण में कौआ को यम का दूत कहा गया है।
7. यमलोक के द्वार पर दो विशाल कुत्ते पहरे देते हैं। इसका उल्लेख हिन्दू धर्मग्रंथों के अलावा पारसी और यूनानी ग्रंथों में भी मिलता है।
8. यमलोक में बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं और राजमार्ग हैं। इसका वर्णन गरुड़ पुराण में भी मिलता है। इस लोक में यमराज के सहयाक चित्रगुप्त जी का भी महल है।
9. यमराज का विशाल राजमहल है जो ‘कालीत्री’नाम से जाना जाता है। यमराज अपने राजमहल में ‘विचार-भू’नाम के सिंहासन पर बैठते हैं।
10. यमलोक में चार द्वार हैं जिनमें पूर्वी द्वारा से प्रवेश सिर्फ धर्मात्मा और पुण्यात्माओं को मिलता है जबकि दक्षिण द्वार से पापियों का प्रवेश होता है जिसे यमलोक में यातनाएं भुगतनी पड़ती है।
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