सार

अक्सर हम जीवन में सोचते हैं कि हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया? ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मों से आया होता हैं। इसलिए भूलकर भी लोगों की बुराई नहीं करना चाहिए।

उज्जैन. इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जो व्यक्ति हमारे सामने दूसरों की बुराई करता है, वो दूसरों के सामने हमारी बुराई भी अवश्य करता होगा। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है दूसरों की बुराई करने से हमारे जीवन पर भी उसका बुरा असर ही होता है। 

यमराज का फैसला
एक राजा ने ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया। राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था। उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी।
तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर उगला। ये जहर जाकर ब्राह्मणों के लिए बन रहे भोजन में जा गिरा। किसी को इस बात का पता न चला।
राजा ने ब्राह्मणों को आदर-सत्कार के साथ भोजन करवाया। कुछ देर बाद ब्राह्मण दर्द से तड़पने लगे और देखते ही देखते सभी की मौत हो गई। ये देखकर राजा को बहुत दुख हुआ, लेकिन उसे समझ में नहीं आया कि इसका दोषी कौन है?
यमराज जो सभी के पापों का लेखा-जोखा रखते हैं कि समझ में ये नहीं आ रहा था कि इस पाप कर्म को किसके खाते में डालें?
राजा... जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है।
या
रसोईया... जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है। 
या
वह चील... जो जहरीला साँप लेकर भोजन बन रहे स्थान के ऊपर से निकली। 
या
वह साँप... जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर उगला...

बहुत दिनों तक यमराज इस बात का फैसला नहीं कर पाए। फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य में आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा।
उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई...जरा ध्यान रखना...वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है।" यह कहकर वह महिला मुस्कुराई।
बस जैसे ही उस महिला ने मुस्कुराकर ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा।
यमराज के दूतों ने पूछा “प्रभु ऐसा क्यों”? जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नहीं थी।
तब यमराज ने कहा कि “जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं। पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला...ना ही उस रसोइया को...ना ही उस साँप को... और ना ही उस चील को आनंद मिला।
पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला। इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा।

लाइफ मैनेजमेंट
कुछ लोगों को दूसरों की बुराई करने में बड़ा आनंद आता है। लेकिन वे भूल जाते हैं कि बिना सोचे-समझे किसी के बारे में गलत बातें करने से उनके पापों में भी वृद्धि हो रही है। इसलिए दूसरों की बुराई करने में समय न गवाएं।


 

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