सार

भारत में अनेक प्राचीन मंदिर हैं। ये सभी मंदिर अपनी खास परंपरा और चमत्कार के लिए जने जाते हैं। ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में स्थित है। इसे गवी गंगाधरेश्वर मंदिर (Gavi Gangadhareshwara Temple, Bangalore) कहा जाता है। यहां साल में एक बार सिर्फ मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) पर विशेष घटना होती है, जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
 

उज्जैन.  गवी गंगाधरेश्वर मंदिर (Gavi Gangadhareshwara Temple, Bangalore) की कई विशेषताएं इसे खास बनाती हैं। इस मंदिर का आधुनिक इतिहास 9वीं एवं 16वीं शताब्दी से है। कैम्पे गौड़ा ने 9वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण कराया, वहीं 16वीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार बेंगलुरु के संस्थापक कैम्पे गौड़ा प्रथम ने करवाया और इसे भव्य बनवाया। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

मकर संक्रान्ति पर होता है चमत्कार
- मान्यता है कि इस मंदिर में गौतम ऋषि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर की गुफा में जो शिवलिंग है वो स्वयंभू हैं, यानी किसी ने इसे बनाया नहीं है ये अपने आप ही प्रकट हुआ है। 
- मकर संक्रान्ति के मौके पर इस मंदिर अद्भुत घटना देखने को मिलती है। क्योंकि इस दिन सूर्य देवता खुद अपनी किरणों से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। दरअसल, मकर संक्रान्ति पर सूर्य भगवान उत्तरायण होते हैं। 
- जिस कारण गुफा में स्थित शिवलिंग जहां सूर्य की किरणें साल भर नहीं पहुंचती इस दिन महज 5 से 8 मिनट के लिए सूर्य की किरणें गर्भगृह तक पहुंचती है और शिवलिंग का अभिषेक करती हैं। 
- ये नजारा सूर्यास्त के समय देखने को मिलता है। संक्रान्ति पर सूर्यास्त के ठीक पहले सूर्य की किरणें मंदिर में बने ऊंचे स्तंभों को छूते हुए भगवान शिव की नंदी की दोनों सींगों के एकदम मध्य से होते हुए गर्भगृह तक आती है।
- इस समय भोले शंकर का गर्भगृह स्वर्णिम किरणों से सुसज्जित हो जाता है। ये नजारा देखकर बिलकुल ऐसा प्रतीत होता है कि सूर्य की किरणें सीधे शिवलिंग का अभिषेक कर उनकी अर्चना कर रही हैं।
- दक्षिण भारत के मंदिरों से इस मंदिर की बनावट अलग है। ये मंदिर की दक्षिण-पश्चिमी दिशा अर्थात नैऋत्य कोण की तरफ है। जिससे मालूम होता है कि प्राचीन समय में इस मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले वास्तुविद नक्षत्र विज्ञान के ज्ञानी थे।

कैसे पहुँचें?
भारत के महानगरों में से एक बेंगलुरु यातायात के किसी भी साधन से अछूता नहीं है और न केवल भारत बल्कि दुनिया के किसी भी कोने से यहां पहुंचना बहुत आसान है। मंदिर से बेंगलुरु के कैम्पे गौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की दूरी लगभग 38 किलोमीटर (किमी) है। बेंगलुरु कैंट से मंदिर की दूरी लगभग 8.8 किमी है। इसके अलावा कैम्पे गौड़ा मैजेस्टिक बस स्टैंड से मंदिर मात्र 4 किमी है।

 

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