सार
आज (2 दिसंबर, गुरुवार) प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat December 2021) किया जा रहा है। इस महीने तिथियों की घट-बढ़ होने से 3 प्रदोष व्रत किए जाएंगे। अंग्रेजी कैलेंडर के एक महीने में आमतौर पर ये व्रत सिर्फ 2 बार ही बार किए जाते हैं। लेकिन दिसंबर में ये तीन बार आएंगे।
उज्जैन. दिसंबर 2021 में तिथियों की घट-बढ़ होने से 3 प्रदोष व्रत किए जाएंगे। अंग्रेजी कैलेंडर के एक महीने में आमतौर पर ये व्रत सिर्फ 2 बार ही बार किए जाते हैं। लेकिन दिसंबर में ये तीन बार आएंगे। इस महीने के दूसरे दिन यानी आज गुरु प्रदोष रहेगा। महीने के तीसरे गुरुवार को भी प्रदोष व्रत रहेगा। इसके बाद दिसंबर के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को प्रदोष व्रत रहेगा। जानकारों के मुताबिक इस स्थिति को शुभ माना गया है। ऐसा होने से भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए महीने में एक दिन और बढ़ गया है। आगे जानिए कब-कब हैं प्रदोष व्रत...
गुरु प्रदोष (2 दिसंबर)
गुरुवार को त्रयोदशी तिथि होने से गुरु प्रदोष योग बनता है। इससे बृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव तो देता ही है साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। अक्सर ये प्रदोष शत्रु और संकट नाश के लिए किया जाता है। इस तरह गुरुवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत बहुत खास है।
गुरु प्रदोष (16 दिसंबर)
महीने के तीसरे गुरुवार को भी त्रयोदशी तिथि रहेगी। ये इसलिए खास रहेगा क्योंकि इस दिन धनु संक्रांति भी रहेगी। संक्रांति पर्व के दिन स्नान-दान और शिव पूजा से मनोकामना पूरी होती है। इस दिन व्रत और पूजा से परेशानियां दूर होंगी।
शुक्र प्रदोष (31 दिसंबर)
महीने के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि होने से शुक्र प्रदोष रहेगा। इसे भृगु प्रदोष भी कहा जाता है। शुक्रवार को प्रदोष व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से सौभाग्य और समृद्धि के साथ दाम्पत्य जीवन में सुख भी बढ़ता है। यही वजह है कि शुक्रवार को प्रदोष तिथि होना खास माना जाता है।
महीने में 2 बार होता है प्रदोष व्रत
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार शिव पुराण में तेरहवीं तिथि को प्रदोष कहा गया है। ये महीने में दो बार आती है। एक शुक्लपक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। इस तरह साल में 24 बार ये व्रत किया जाता है। अलग-अलग वार के साथ इस तिथि महत्व बढ़ जाता है। इस तरह दोनों ही पक्षों में आने वाला प्रदोष व्रत खास माना जाता है।
दोष और परेशानी से मुक्ति दिलाने वाला व्रत
डॉ. मिश्र के अनुसार हर महीने आने वाले प्रदोष व्रत पर भगवान शिव-पार्वती की विशेष पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर तरह की परेशानियां और दोष खत्म होने से ही इसे प्रदोष कहा जाता है। शिव पुराण के मुताबिक, त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव सूर्यास्त के वक्त यानी प्रदोष काल में कैलाश पर अपने रजत भवन में प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। इस शुभ समय में की गई शिवजी की विशेष पूजा हर तरह का सुख देने वाली होती है।
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