धर्म ग्रंथों में किसे और क्यों कहा गया है देवताओं का गुरु? स्कंद पुराण में लिखी है ये रोचक कथा

धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवताओं के गुरु बृहस्पति हैं। इसलिए इन्हें देवगुरु भी कहा जाता है। इनसे संबंधित अनेक कथाएं पुराणों में पढ़ने को मिलती हैं। बृहस्पति ब्रह्माजी के मानस पुत्र महर्षि अंगिरा के सबसे पहले पुत्र बताए गए हैं। इनके दो अन्य भाइयों के नाम उतथ्य और संवर्त है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 18, 2022 9:47 AM IST / Updated: Mar 19 2022, 08:48 AM IST

उज्जैन. बृहस्पति अपने एक रूप से देव पुरोहित के रूप में इंद्रसभा-ब्रह्मसभा में रहते हैं और दूसरे रूप से ग्रह के रूप में नक्षत्रमंडल में निवास करते हैं। वैसे तो और भी देवताओं का वर्णन शास्त्रों में मिलता है, लेकिन बृहस्पति ही कैसे देवताओं के गुरु बने। इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम आपको इससे जुड़ी कथा के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

ये भी पढ़ें- 23 फरवरी को अस्त हुआ था गुरु ग्रह, अब होने वाला है उदय, इन 4 राशि वालों को मिलेगा किस्मत का साथ

बृहस्पति कैसे बने देवगुरु? 
स्कंदपुराण के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति ने एक समय काशी में शिवलिंग की स्थापना कर घोर तपस्या की। तपस्या करते हुए दस हजार वर्ष बीत गए, तब महादेव प्रसन्न होकर उस शिवलिंग से प्रकट हुए। 
शिवजी ने बृहस्पति से कहा “मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूं, अपना वर मांगो। तब बृहस्पति ने भगवान शिव की स्तुति करते हुए कहा कि ”हे जगन्नाथ! आप भक्तों का उद्धार करने वाले हैं। आपके दर्शनों से ही मैं कृतकृत्य हो गया हूं। मेरी समस्त कामनाएं पूरी हो गई हैं। अत: अब मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए। 
बृहस्पति की ऐसी स्तुति सुनकर महादेव ने और भी अधिक प्रसन्न होकर अनेक वर दिए और कहा “हे आंगिरस। तुमने बहुत बड़ा तप किया है इसलिए तुम इंद्रादि देवताओं के गुरु के रूप में पूजे जाओगे।
महादेव ने आगे कहा कि “हे देवताओं के गुरु। तुम बड़े वक्ता और विद्वान हो, इसलिए तुम्हारा नाम वाचस्पति भी होगा। जो प्राणी तुम्हारे द्वारा स्थापित इस बृहस्पतिश्वर लिंग की आराधना करेगा और तुम्हारे द्वारा की गई स्तुति का पाठ करेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी और उसे ग्रहों से संबंधित भी कोई दोष नहीं होगा। इतना कहकर महादेव ने सभी देवताओं को बुलाकर बृहस्पति को देवाचार्य तथा देवगुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर दिया।

ये भी पढ़ें- बूढ़ा गधा कुएं में गिर गया, लोग उस पर मिट्टी डालने लगे, इसके बाद गधे ने जो किया वो हैरान कर देने वाला था

ज्योतिष में गुरु ग्रह
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को धनु और मीन राशि का स्वामी माना गया है। कर्क इस ग्रह की उच्च राशि है, जबकि मकर नीच राशि है। ज्योतिष की दुनिया में गुरु ज्ञान, शिक्षक, शिक्षा, बड़े भाई, संतान, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, दान, पुण्य, धन और वृद्धि आदि का कारक माना गया है।

 

ये भी पढें

भिखारी ने सेठ से पैसे मांगे, सेठ ने कहा “बदले में तुम मुझे क्या दोगे? ये सुनकर भिखारी ने क्या किया?


Life Management: शिष्य गुरु के लिए पानी लाया, वो पानी कड़वा था, फिर भी गुरु ने उसकी प्रशंसा की…जानिए क्यों

Life Management: घर को जलता देख पिता घबरा गए, तभी बेटे ने आकर ऐसी बात कही कि उनकी चिंता दूर हो गई

Life Management: राजा ने बच्ची को भोजन दिया, उसमें एक रत्न भी था, बच्ची की मां ने उसे देखा तो क्या किया?

Life Management: 6 अंधे हाथी देखने गए, किसी ने कहा हाथी नली जैसा होता है, किसी ने खंबे जैसा बताया…फिर क्या हुआ

Share this article
click me!