Onam 2022: इस बार कब मनाया जाएगा ओणम? जानिए तारीख, महत्व और इससे जुड़ी कथा

Onam 2022: भारत विविधताओं का देश है। यहां हर दिन किसी धर्म, जाति या समाज विशेष का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा ही एक त्योहार है ओणम। यह मुख्य रूप से केरल में मनाया जाता है। इस बार यह त्योहार 8 सितंबर, गुरुवार को है।
 

Manish Meharele | Published : Sep 6, 2022 7:03 AM IST / Updated: Sep 06 2022, 12:51 PM IST

उज्जैन. ओणम (Onam 2022) दक्षिण भारत मुख्य रूप से केरल का प्रमुख त्योहार है। इस बार ये पर्व 8 सितंबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार से जुड़ी कईं मान्यताएं और परंपराएं हैं। मान्यता यह भी है कि इस दिन राजा महाबली अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए पाताल लोक से धरती पर आते हैं। उनके आने की खुशी में महिलाओं द्वारा घर के बाहर आकर्षक ओणमपुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाई जाती है। इस पर्व पर एक खास प्रकार की खीर, जिसे आडाप्रधावन कहते हैं बनाई जाती है। आगे जानिए इस पर्व से जुड़ी कथा व अन्य खास बातें…

जब राजा बलि ने किया यज्ञ
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सतयुग में पृथ्वी के दक्षिण भाग में राजा बलि का शासन था। वे भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद के पोते थे और महान दानी भी। उनके पास से कोई भी खाली हाथ नहीं जाता था, लेकिन वे देवताओं को अपना शत्रु मानते थे। एक बार उन्होंने स्वर्ग पर अधिकार करने के लिए विशाल यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य मुख्य पुरोहित थे।

जब भगवान ने मांगी 3 पग भूमि
देवताओं को जब पता चला कि स्वर्ग पर अधिकार करने के लिए बलि यज्ञ कर रहे हैं तो वे भगवान विष्णु के पास गए। देवताओं की सहायता के लिए भगवान विष्णु वामन रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य भगवान की लीला समझ गए और उन्होंने बलि को दान का संकल्प लेने से से मना कर दिया। 

भगवान वामन में नाप लिए तीनों लोक
दैत्य गुरु शुक्राचार्य के मना करने के बाद भी बलि ने भगवान वामन को तीन पग धरती दान देने का संकल्प ले लिया। भगवान वामन ने विशाल रूप धारण कर एक पग में धरती और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया। जब तीसरा पग रखने के लिए कोई स्थान नहीं बचा तो बलि ने भगवान वामन को अपने सिर पर पग रखने को कहा।

भगवान ने बलि को बनाया पाताल का राजा
जैसे ही भगवान वामन ने अपना पैर बलि के सिर पर रखा तो वह सुतल लोक पहुंच गया। बलि की दानवीरता देखकर भगवान ने उसे सुतल लोक का राजा बना दिया। ये वरदान भी दिया कि वह अपनी प्रजा को वर्ष में एक बार अवश्य मिल सकेगा। मान्यता है कि इसी दिन राजा बलि अपनी प्रजा का हाल-चाल जानने पृथ्वी पर आते हैं। राजा बलि के आगमन की खुशी में ही ओणम का त्योहार मनाया जाता है।


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