टाटा की कंपनी में काम कर चुकी वो महिला, जो नहीं बोल पाती थी अंग्रेजी अब हैं IAS

UPSC IAS Success Story: सतना की सुरभि गौतम ने बिना अंग्रेजी और कोचिंग के UPSC परीक्षा पास कर IAS बनकर मिसाल कायम की। बीमारी और सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने रतन टाटा की कंपनी में काम किया और फिर IAS बनीं।

UPSC IAS Success Story: मध्य प्रदेश के सतना जिले के छोटे से गांव अमदरा की सुरभि गौतम का सफर एक असाधारण प्रेरणा है। हिंदी माध्यम के स्कूल में पढ़ी सुरभि के पास न अंग्रेजी का ज्ञान था और न ही किसी कोचिंग का सहारा, लेकिन उनकी मेहनत ने उन्हें रतन टाटा की कंपनी तक पहुंचा दिया। गांव की इस लड़की ने बिना अंग्रेजी के भी अपनी काबिलियत से सबको प्रभावित कर दिखाया।

12वीं के दौरान गंभीर बीमारी से जूझीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी

सुरभि के पिता वकील थे और उनकी मां सरकारी स्कूल में अध्यापिका। साधारण परिवार और सीमित संसाधनों के बावजूद सुरभि ने 10वीं और 12वीं में 90% से अधिक अंक हासिल किए। 12वीं के दौरान वे गंभीर बीमारी से जूझीं लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और हर 15 दिन पर जबलपुर जाकर इलाज करवाया। इन कठिन हालातों में भी उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी।

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इंजीनियरिंग में किया टॉप

हाई स्कूल के बाद सुरभि ने स्टेट इंजीनियरिंग एंट्रेंस परीक्षा पास की और भोपाल के इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पाया। इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में उन्होंने न केवल पढ़ाई की बल्कि पूरे विश्वविद्यालय में टॉप किया और गोल्ड मेडल हासिल किया।

अंग्रेजी में कमजोरी बनी ताकत

सुरभि का अंग्रेजी ज्ञान सीमित था, लेकिन उन्होंने इसे कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने खुद को साबित करने के लिए कठिन परिश्रम किया और अपनी काबिलियत से रतन टाटा की कंपनी में नौकरी पाई। यहां का अनुभव उनके लिए बहुत खास था और यहीं से उनके आत्मविश्वास को नई उड़ान मिली।

बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी

सुरभि ने अपनी मंजिल को पाने के लिए हर कठिनाई को एक सबक माना। गांव में रहते हुए भी उन्होंने बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी शुरू की। खुद पर भरोसा और कठिन परिश्रम के दम पर उन्होंने 2016 में आईएएस परीक्षा में सफलता पाई और ऑल इंडिया रैंक (AIR) हासिल की।

यूपीएससी एस्पिरेंट्स के लिए एक मिसाल

सुरभि की कहानी बताती है कि चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों न हो, सच्चा जुनून और दृढ़ निश्चय आपको हर बाधा पार करने में मदद कर सकते हैं। उनके संघर्ष और सफलता से यूपीएससी एस्पिरेंट्स को यह सीख मिलती है कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हों, आत्मविश्वास और मेहनत से सब कुछ संभव है।

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