क्यों जरूरी है बच्चों की गर्भनाल प्रिजर्व करवाना, कई बीमारियों का इलाज है मुमकिन, जानें प्लेसेंटा की प्रोसेस

हेल्थ डेस्क : कहते है ना मां और बच्चे का साथ पूरी दुनिया से 9 महीने ज्यादा होता है, क्योंकि 9 महीने तक मां अपने बच्चे को अपनी कोख में रखती है। इस दौरान मां और बच्चे को जोड़ने का काम गर्भनाल (umbilical cord) करती है, जिसके सहारे मां के गर्भ में बच्चा जिंदा रहता है। ये गर्भनाम गर्भावस्था के दौरान बच्चे को सुरक्षा और पोषण देने का काम करती है। हालांकि, बच्चे का जन्म होने के बाद ये सूखकर झड़ जाती है। लेकिन आजकल बच्चे की नाल को सहेजकर रखा जाने लगा है क्योंकि इससे बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों या फिर किसी भी मेडिकल केस हिस्ट्री को समझने में मदद मिलती है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं, कि क्यों जरूरी है बच्चों की गर्भनाल प्रिजर्व करवाना और इसके फायदे क्या है...

Asianet News Hindi | Published : Feb 18, 2022 5:03 AM IST

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क्यों जरूरी है बच्चों की गर्भनाल प्रिजर्व करवाना, कई बीमारियों का इलाज है मुमकिन, जानें प्लेसेंटा की प्रोसेस

क्या होती है गर्भनाल
कोख में बच्चे को नाभि के जरिए मां से जोड़ने वाली नाल को गर्भनाल यानी प्लेसेंटा कहा जाता है। बच्चे के विकास में गर्भनाल अहम भूमिका निभाता है। ये बच्चे को गर्भ में पोषण देने के काम करता है। मां जो कुछ भी खाती है, उसके पोषक तत्व गर्भनाल के जरिए बच्चे तक पहुंचाते हैं। गर्भनाल मां के शरीर में दूध बनने की प्रक्रिया को भी प्रेरित करता है। 

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क्यों जरूरी है गर्भनाल प्रिजर्व करना
बच्चे के जन्म के बाद आम तौर पर गर्भनाल को दोनों तरफ से काट कर फेंक दिया जाता है, जो थोड़ा हिस्सा बच्चे की नाभि में बचा होता है, वो भी जन्म के कुछ दिन बार सूखकर गिर जाता है। लेकिन रिसर्च ने गर्भनाल को बेहद महत्वपूर्ण बना दिया है। दरअसल, आजकल बच्चे की नाल को सहेजकर रखा जाने लगा है, जिसे स्टेप सेल प्रिजर्व करना या प्लेसेंटा बैंकिंग (placenta banking) कहा जाता है। 
 

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गर्भनाल प्रिजर्व करवाने के फायदे
कई रिसर्चों से पता चला है कि गर्भनाल सहेजने से बच्चे की अनुवांशिक बीमारियों या फिर किसी भी मेडिकल केस हिस्ट्री को समझने में मदद मिलती है और इसका सटीक इलाज मिल पाता है। इतना ही नहीं ऐसे लोग न केवल खुद रोग मुक्त हो सकते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इससे बचा सकते हैं। 

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क्या है प्लेसेंटा बैंकिंग की प्रोसेस
20 इंच लंबी गर्भनाल में लगभग 60 एमएल खून (Cord blood) होता है। गर्भनाल को काटे जाने के बाद उससे खून निकाला जाता है। इस खून को प्लेसेंटा बैंक भेजा जाता है। इस बैंक में माइनस 196 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर इसे तरल नाइट्रोजन की मदद से लगभग 600 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। 

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कैसे काम करता है प्लेसेंटा
गर्भनाल खून में हेमटोपोइएटिक स्टेम सेल नामक कोशिकाएं होती हैं। ये कोशिकाएं किसी भी प्रकार की रक्त कोशिका में बदल सकती हैं और ट्रांसप्लांट के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं जो रक्त विकार, प्रतिरक्षा की कमी, चयापचय संबंधी रोग और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक कर सकती हैं।

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इन बीमारियों का इलाज संभव
बच्चे के जन्म के बाद गर्भनाल और प्लेसेंटा में बचे हुए रक्त में जो विशेष कोशिकाएं होती हैं वह कुछ गंभीर बीमारियों का इलाज कर सकती हैं। जिसमें बोन मैरो से कोशिकाएं लेकर इलाज करना, खून संबंधित बीमारी और थैलेसिमिया डायबिटीज, दिल और लिवर समेत करीब 100 बीमारियों का इलाज संभव हो सकता है।

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कैसे करें गर्भनाल प्रिजर्व
देश के बड़े शहरों में प्लेसेंटा बैंकों की सुविधा है, जहां गर्भनाल की कोशिकाओं को संरक्षित किया जाता है। इसके लिए बच्चे के जन्म से पहले आप इसे बुक करवा सकते है और बच्चे के जन्म के दौरान वह इस नाल को सुरक्षित करने आ जाते हैं। लेकिन फिलहाल इसके लिए अच्छी खासी रकम खर्च करनी पड़ रही है। 21 साल तक एंबिकल कार्ड सुरक्षित रखने के लिए अमूमन 75 से 85 हजार रुपये या कई जगह 1 लाख रुपये भी लगता है।

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