IS की मौत बनकर अफगानिस्तान में घूम रहे 40 सैनिक, कहा- बदला लेकर ही देश लौटेंगे-जानें कितना डेंजर है ये दस्ता

काबुल. ब्रिटेन ने शनिवार को अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया। लेकिन काबुल एयरपोर्ट ब्लास्ट पर अमेरिका के बदले के बाद ब्रिटेन भी बदला लेने के मूड में दिख रहा है। यही वजह है कि ब्रिटिश सेना की एक टीम के 40 सैनिक वहीं पर रुके हैं। इस टीम को SAS फाइटर्स कहते हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि ब्रिटेन ने इन्हें अफगानिस्तान में रुकने के लिए नहीं कहा है, बल्कि इन्होंने खुद से अपनी इच्छा जताकर यहां रुकने की परमीशन मांगी। जानें कितनी डेंजर है SAS की टीम...
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 30, 2021 5:55 AM IST / Updated: Aug 30 2021, 11:34 AM IST

17
IS की मौत बनकर अफगानिस्तान में घूम रहे 40 सैनिक, कहा- बदला लेकर ही देश लौटेंगे-जानें कितना डेंजर है ये दस्ता

SAS फाइटर्स को मारना बहुत मुश्किल है
SAS फाइटर्स बहुत खतरनाक होते हैं। इन्हें डाईहार्ड सैनिक कहते हैं। यानी वे सैनिक जिन्हें मुश्किल से ही मारा जा सके। इन्होंने खुद अफगानिस्तान में रहकर आतंकियों और उनके आकाओं को नेस्तानाबूत करने की कसम खाई है। 
 

27

स्पेशल एयरफोर्स सर्विस की ट्रेनिंग होती है टफ
SAS यानी स्पेशल एयरफोर्स सर्विस बड़े मिशन के लिए बनाई गई है। ये यूनाइटेड किंगडम के सबसे कठिन और शॉर्प सैनिकों की टीम है। इसका सलेक्शन दुनिया के कठिन ट्रेंनिंग में से एकहै। जंगल, पहाड़, रेगिस्तान, बर्फ में रहकर सालों तक कैसे दुश्मन का खात्मा करना है इस टीम को लोगों को वैसी ट्रेनिंग की जाती है। 
 

37

जब 20 सैनिकों को बचाने के लिए SAS को बुलाया गया
SAS फाइटर्स के बारे में जानने के लिए एक उदाहरण बताते हैं। तालिबान ने जब काबुल पर कब्जा किया तो कंधार में स्पेशल फोर्स के 20 जवान फंस गए थे। तब सैनिकों ने ब्रिटेन को एक इमरजेंसी मैसेज भेजा। कहा कि उन्हें जल्द से जल्द अफगानिस्तान से बाहर निकाला जाए। वह विमान का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं क्योंकि ये तालिबान के कब्जे में है। तब SAS सैनिकों ने रेगिस्तान के जरिए घुसपैठ की। इसके बाद उन सैनिकों का रेस्क्यू किया गया। 
 

47

अंडरकवर रहकर IS को उतारेगी मौत के घाट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये टीम अंडरकवर रहकर IS को निशाना बनाएगी। इनका बेस कैंप अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा के पास होगा। बता दें कि इनके टारगेट पर ISIS-K के लड़ाके हैं। उन्होंने ही काबुल एयरपोर्ट पर ब्लास्ट कर 170 लोगों की हत्या कर दी। 
 

57

SAS के कैंप का इस्तेमाल अमेरिका भी करेगा
SAS की टीम जो बेस कैंप बनाएगी उसका इस्तेमाल रॉयल नेवी एसबीएस स्पेशल फोर्स, यूएस आर्मी डेल्टा फोर्स और यूएस नेवी सील भी करेगा। ये वह यूनिट है जिन्होंने अल कायदा चीफ ओसामा बिल लादेन को 2011 में मारा था। 
 

67

बेस कैंप बनाने के लिए तालिबान की मंजूरी चाहिए
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, SAS टीम को ड्रोन के साथ ही अमेरिकी सैनिकों की मदद मिलेगी। सूत्रों के मुताबिक, इस टीम को अफगानिस्तान में रहने के लिए तालिबान की मंजूरी चाहिए होगी। उम्मीद है कि IS के खिलाफ ये मंजूरी तालिबान दे देगा। 
 

77

टास्क फोर्क ब्लैक की तरह हो रही तैयारी
ब्रिटिश और अमेरिकी स्पेशल फोर्स को उसी तरह से संगठित किया जाएगा जैसे टास्क फोर्स ब्लैक ने इराक युद्ध के दौरान किया था। IS ने अब्दुल रहमान अल लोगरी को काबुल एयरपोर्ट ब्लास्ट पर बमबारी करने वालों में से पहचान की है। ब्लास्ट में 13 अमेरिकी सैनिक, 170 अफगान और यूके के 2 नागरिकों की मौत हो गई थी। 

M-16 तालिबान से कर रहा सीक्रेट बातचीत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, MI6 तालिबान के साथ सीक्रेट बातचीत कर रहा है। ब्रिटिश जासूस उन्हें बताना चाहते थे कि जहां तक ​​ब्रिटेन का संबंध है, तो उनके साथ युद्ध खत्म हो गया है। लेकिन शर्त ये है कि वे किसी आतंकवादी को पनाह न दे। 

ये भी पढ़ें

1- पब्लिक में गाना गाने पर मिली क्रूर सजा, घर से घसीटकर ले आए, फिर बंदूक की बट से पीटा, अधमरा होने पर मारी गोली

2- 2 साल के बच्चे को गर्म कार में 3 घंटे तक लॉक किया, दाई ने बच्चे को ऐसे मौत दी कि हर कोई चौंक गया

3- यहां म्यूजिक, टीवी, रेडियो पर किसी महिला की आवाज नहीं आनी चाहिए, नहीं तो मौत तक की सजा मिलेगी

4- US ने 7350 मील दूर बैठ काबुल ब्लास्ट प्लानर को किया टारगेट, जानें ड्रोन कैसे ला सकता है युद्ध में क्रांति

5- पॉर्न की ऐसी लत कि कर्मचारी ने बॉस को लगाया करोड़ों का चूना, पैसों से उसने ऐसा काम किया कि कंपनी हुई बर्बाद

Share this Photo Gallery
click me!
Recommended Photos