New Research: स्टडी में हुआ खुलासा, नाइट शिफ्ट में काम करने वालों को हो सकती है ये प्रॉब्लम, इस तरह करें बचाव

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने हाल ही में एक रिसर्च की है। जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि नाइट की शिफ्ट करने वाले कर्मचारियों को दिन में खाना खाने से कम हेल्थ प्रॉब्लम होती है यद्यपि रात को हैवी डाइट लेने से जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है।
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 5, 2021 3:38 AM IST

हेल्थ डेस्क : आज के समय में मल्टीनेशनल कंपनी हो या कोई ऑफिस कर्मचारी अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं। दिन की शिफ्ट वाले लोगों के लिए तो ठीक है, लेकिन जो रात की शिफ्ट (night shifts) करता है, उसकी रात की नींद से लेकर डाइट हैबिट तक बदल जाती है। इसी पर हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) ने एक परीक्षण किया। जिसमें नाइट शिफ्ट करने वालों की नाइट रूटीन को जांचा गया। जिसके फलस्वरूप स्टडी में यह बात पता चली है कि रात में खाने से ब्लड शुगर लेवल (glucose levels) बढ़ सकता है, लेकिन केवल दिन में खाना खाने से रात को काम करना ईजी हो जाता है और हेल्थ संबंधी परेशानियां भी कम होती है।

कहां हुई स्टडी
ये रिसर्च वॉशिंगटन के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने की, जो 'साइंस एडवांस जर्नल' में प्रकाशित हुई है। जिसमें कहा गया है कि काम करने की शिफ्ट कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव डालती है। जैसे कि पिछली स्टडी से भी पता चलता है कि, नाइट शिफ्ट करने वाले किराना स्टॉकर, होटल कर्मचारी, ट्रक ड्राइवर, और अन्य लोगों में मधुमेह, हृदय रोग और मोटापे का जोखिम ज्यादा हो सकता है।

नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि मनुष्यों में खाने की प्रवत्ति का काम करने पर बहुत असर पड़ता है। नाइट की शिफ्ट करने वाले कर्मचारियों को दिन में खाना खाने से कम हेल्थ प्रॉब्लम होती है। वहीं, रात को हैवी डाइट लेने से हार्ट, फेफड़े और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है।

किन लोगों पर हुई रिसर्च
एनएचएलबीआई के नेशनल सेंटर ऑन स्लीप डिसऑर्डर रिसर्च के निदेशक मारिष्का ब्राउन ने बताया कि इस रिसर्च में 19 स्वस्थ युवा प्रतिभागियों (7 महिलाएं और 12 पुरुष) को चुना गया। जिन्हें 14 दिन तक ऑब्जर्वेशन किया गया। जिसमें दो डाइट के साथ रात की काम की स्थिति शामिल थी। एक ग्रुप ने रात के समय खाना खाया। वहीं, एक समूह ने दिन के समय भोजन किया। जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि रात के समय खाने से ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जो डायबिटीज का कारण बनता है। जबकि दिन के समय खाना खाने से इस प्रभाव को रोका जा सकता है। विशेष रूप से, रात में खाने वालों के लिए औसत ग्लूकोज स्तर में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि दिन के दौरान खाने वालों में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई।

निष्कर्ष
रिसर्च की सह-निदेशक सारा एल चेलप्पा, एमडी ने कहा, 'यह शोध इस अवधारणा में मदद करता है कि जब भी आप खाते हैं तो इसका स्वास्थ्य परिणामों पर प्रभाव पड़ता है, जैसे ब्लड शुगर, जो शाम के कर्मचारियों के लिए संबंधित है क्योंकि वे आमतौर पर अपनी शिफ्ट के दौरान शाम को खाते हैं।' इसके अलावा यह आंतरिक प्रक्रिया है जो न केवल नींद-जागने के चक्र को नियंत्रित करती है, बल्कि आपके मैटाबॉलिज़्म सहित आपके शारीरिक कार्यों के लगभग सभी पहलुओं के 24 घंटे के चक्र को भी नियंत्रित करती है।

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