Alzheimer’s: अल्जाइमर छीन लेता है यादों का खजाना, जानें इसके शुरुआती लक्षण और ट्रीटमेंट

Alzheimer Diseaese: हम सब कभी ना कभी कुछ भूल जाते हैं। कहीं कोई चीज रखकर भूल जाते हैं तो एग्जाम हॉल में क्वेशन का आनंसर। कभी कभार अचानक भूल जाना सामान्य हैं। लेकिन अगर आप अक्सर भूलने लगते हैं। तो फिर यह गंभीर बात हो जाती है। इसका मतलब होता है कि आप अल्जाइमर से पीड़ित हो रहे हैं। चलिए जानते हैं अल्जाइमर क्या है और इससे कैसे दूर रह सकते हैं।

Nitu Kumari | Published : Nov 9, 2022 1:55 PM IST

हेल्थ डेस्क. देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को भी उम्र के अंतिम पड़ाव पर भूलने की बीमारी हो गई थी। हालांकि उन्हें डिमेंशिया (मनोभ्रांस)था। जो अल्जाइमर से ही मिलता जुलता है। अल्जाइमर बीमारी( Alzheimer Diseaese) दुनिया भर के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। दुनिया में हर तीन सेकंड में एक व्यक्ति अल्जाइमर या डिमेंशिया का शिकार होता जा रहा है।  डब्ल्यूएचओ (WHO) की मानें तो साल 2021 में अल्जाइमर और डिमेंशिया से पीड़ित लोगों की संख्या करीब 55 मिलियन हो गई थी। जो आने वाले 20 साल में दोगुना हो सकता है। इतना ही नहीं यह बीमारी मौत का सातवां सबसे बड़ा कारण हैं।

वैसे तो अल्जाइमर बुजुर्गों की बीमारी कही जाती हैं। लेकिन अब युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के साथ यह बीमारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है। अल्जाइमर में व्यक्ति सोचने समझने की शक्ति, याद रखने की क्षमता को खो देते हैं। इतना ही नहीं वो गुस्सैल और चिड़चिड़े हो जाते हैं। अगर शुरुआत में अल्जाइमर के लक्षण को पहचान लिया जाता है तो इससे बचा जा सकता है। चलिए बताते हैं अल्जाइमर के कुछ शुरुआती लक्षण-
लगातार बातों या चीजों को भूलने लगना ।
समय और स्थान के बारे में भूलने लगना।
चीजों को गलत जगहों पर रखने लगना।
निर्णय लेने की क्षमता को खो देना।
मूड स्विंग और चिड़चिड़ा होना।
लोगों से जुड़ नहीं पाना।
रूटीन एक्टिविटी को पूरा करने में असमर्थ होना।
वस्तुओं को पहचानने में असमर्थ होना

मेडिकल की मानें तो अगर शुरुआत में इस पर गौर नहीं किया गया तो यह तेजी से बढ़ता है। पेशेंट गंभीर अल्जाइमर के शिकार हो सकते हैं। इसके बाद वो पहले वाली स्थिति में नहीं वापस लौट पाते हैं।धीरे-धीरे वो अपनों को भूल जाते हैं, पास्ट की हर बात को भूल जाते हैं।

अल्जाइमर या डिमेंशिया क्यों होता है इसका सटीक कारण अभी तक नहीं पता चला है। सबसे पहले ये जान लें कि अल्जाइमर और डिमेंशिया एक ही बीमारी के नाम नहीं हैं।ये वास्तव में भिन्न हैं। अल्जाइमर डिजीज का एक छोटा-सा सेट मात्र है।  अल्जाइमर में डिमेंशिया का एक बड़ा अनुपात होता है।  डॉक्टर की मानें तो यह 60 से 70 प्रतिशत तक हो सकता है।

अल्जाइमर होने के क्या हैं कारण

अल्जाइमर रोग क्यों होता है इसके कारण का पता तो अभी नहीं चल पाया है। लेकिन मस्तिष्क में अगर प्रोटीन सही तरीके से काम नहीं करती है तो र मस्तिष्क कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) ठीक से काम नहीं कर पाती। इसमें बाधा आ जाती है। इसके साथ ही मस्तिष्क में विषाक्त घटनाएं होने लगती है। जिससे न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त होने लगेत हैं और एक दूसरे से संबंध को खो देते हैं और फिर वो मृत हो जाते हैं। जिससे मेमोरी लॉस होती है।  वैज्ञानिकों का मानना है कि अल्जाइमर रोग आनुवंशिक, जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन के कारण होता है। 

ट्रीटमेंट क्या है
वैसे तो अल्जाइमर का अभी तक कोई सटीक ट्रीटमेंट नहीं है। लेकिन कुछ कदम उठाकर इसे बढ़ने से रोका जा सकता है। अल्जाइमर के शिकार लोगों का मन और तन दोनों को हेल्दी रखने की जरूरत होती है।इसके लिए कुछ नियम फॉलो कर सकते हैं।
अच्छी नींद लेना।
हेल्दी और बैलेंस डाइट।
एक्सरसाइज और वॉकिंग।
योग और मेडिटेशन।
लोगों से ज्यादा मिला और बातचीत करना।
तनाव से मुक्त रहना।

वर्तमान में अल्जाइमर को कंट्रोल में रखने के लिए दवाएं भी दी जाती हैं। यह अल्जाइमर के लक्षणों को धीमा कर देता है। 

अल्जाइमर पीड़ित व्यक्ति के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत
अल्जाइमर को रोकना मुमकीन नहीं हैं। ऐसे मरीजों के प्रति संवेदनशील होने की जरूरत होती है। घर में या बाहर किसी अल्जाइमर पीड़ित को देखें तो उसके साथ मानवीय व्यवहार करें। क्योंकि एक वक्त के बाद ऐसे रोगियों को निगलने, चलने फिरने और यहां तक मूत्राशय पर भी नियंत्रण नहीं रहता हैं।

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