
Maharashtrian Nath Design: गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का एक प्रमुख त्यौहार है, जो नवसंवत्सर की शुरुआत का प्रतीक है। इस ख़ास अवसर पर महिलाएं नौवारी साड़ी, गजरा और ख़ास तौर पर महाराष्ट्रीयन नथ (महाराष्ट्रीयन नथ) जैसे पारंपरिक परिधान पहनना पसंद करती हैं। यह नथ न सिर्फ़ खूबसूरती बढ़ाती है, बल्कि पारंपरिक और सांस्कृतिक पहचान को भी दर्शाती है।
माना जाता है कि महाराष्ट्रीयन नथ (नाक की अंगूठी) की शुरुआत पेशवाओं के जमाने से हुई थी। पारंपरिक तौर पर इसे शादियों, शुभ अवसरों और त्योहारों पर पहनना शुभ माना जाता है।
पेशवाओं के ज़माने की यह नथ मोतियों और कुंदन से बनी होती है। यह भारी और आकर्षक डिज़ाइन वाली होती है, जिसे ख़ास मौकों पर पहना जाता है।
ब्राह्मणी नथ में छोटे-छोटे मोती और लाल-हरे रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है। यह नथ पारंपरिक और क्लासिक लुक के लिए आदर्श मानी जाती है।
यह नथ पिंजरे जैसी जालीदार डिज़ाइन में आती है, जिस पर बारीक कारीगरी होती है। इसे आधुनिक और पारंपरिक लुक के लिए चुना जाता है।
कोल्हापुर की इस मशहूर नथ में सोने और मोतियों का खूबसूरत कॉम्बिनेशन होता है। इसे पहनने से महिलाएं रॉयल लुक पाती हैं।
अगर आप हल्का और सिंपल लुक चाहती हैं, तो मोतीवाली नथ सबसे उपयुक्त है। इसे पहनने से आप सिंपल लेकिन ग्रेसफुल दिखेंगी।
गुड़ी पड़वा पर पारंपरिक और आकर्षक लुक के लिए महाराष्ट्रीयन नथ (महाराष्ट्रियन नथ) पहनना न केवल सुंदरता बढ़ाता है बल्कि हमारी संस्कृति को भी दर्शाता है। चाहे आप पेशवाई नथ पहनें या कोल्हापुरी, हर नथ का अपना अलग आकर्षण होता है, जो इस त्यौहार को और भी खास बनाता है।