जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है अल्पायु योग, जवानी में हो सकती है उसकी मृत्यु, जानें कब बनता है ये योग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर उसकी आयु के बारे में भी अनुमान लगाया जा सकता है। देखने में आता है कि कुछ लोगों की मृत्यु कम आयु में ही हो जाती है। इसका कारण अल्पायु हो सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 5, 2021 3:44 AM IST

उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर उसकी आयु के बारे में भी अनुमान लगाया जा सकता है। देखने में आता है कि कुछ लोगों की मृत्यु कम आयु में ही हो जाती है। इसका कारण अल्पायु हो सकता है। अल्पायु से अर्थ है 35 साल के पहले। ऐसा किन ग्रहों के कारण हो सकता है, इसका जानकारी इस प्रकार है…

1. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है।
2. इसके अलावा व्यक्ति के जीवन पर केवल उसकी कुंडली का ही नहीं, वरन उसके संबंधियों की कुंडली के योगों का भी असर पड़ता है। जैसे किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई वर्ष विशेष मारक हो मगर उसके पुत्र की कुंडली में पिता का योग बलवान हो, तो उपाय करने पर यह मारक योग केवल स्वास्थ्य कष्ट का योग मात्र बन जाता है। अतः इन सब बातों का ध्यान रखते हुए मनीषियों ने आयु निर्धारण के सामान्य नियम बताते हुए अल्पायु योगों का संकेत दिया है।
3. आयु निर्धारण में मुख्य ग्रह यानि लग्न के स्वामी का बड़ा महत्व होता है। यदि मुख्य ग्रह 6, 8, 12 में है तो वह स्वास्थ्य की परेशानी देगा ही देगा और उससे जीवन व्यथित होगा अतः इसकी मजबूती के उपाय करना जरूरी होता है।
4. यदि गुरु अष्टम और छठे भाव में स्थित होकर पीड़ित हो रहा है तो भी यह अल्पायु योग माना जाता है। लाल किताब के अनुसार आयु का निर्धारण गुरु से होता है।
5. यदि सभी पाप ग्रह शनि, राहू, सूर्य, मंगल, केतु और चंद्रमा (अमावस्या वाला) 3, 6,12 में हो तो आयु के अल्प होने की संभावना होती है। लग्न में लग्नेश सूर्य के साथ हो और उस पर पाप दृष्टि हो तो लंबी आयु योग कमजोर पड़ सकता है।
6. यदि 8वें स्थान का स्वामी यानि अष्टमेश 6 या 12 स्थान में हो और पाप ग्रहों के साथ हो या पाप प्रभाव में हो तो अल्पायु योग बनता है। लग्नेश निर्बल हो और केंद्र में सभी पाप ग्रह हो, जिन पर शुभ दृष्टि न हो तो आयु कम हो सकती है।
7. धन और व्यय भाव में (2 व 12 में) पाप ग्रह हो और मुख्य ग्रह कमजोर हो तो भी यह योग माना जाता है।
8. लग्न में शुक्र और गुरु हो और पापी मंगल 5वें भाव में हो तो आयु योग कम होता है।
9. लग्न का स्वामी होकर चन्द्रमा अस्त हो, ग्रहण में हो या नीच का हो तो भी आयु कम होने के योग बनते हैं।

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