सार

शनि, मंगल, राहु और केतु से लोग अक्सर डरते हैं। इन ग्रहों की महादशा, अंतरदशा या कुंडली में बुरी स्थिति में होने कारण लोगों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन जरूरी नहीं कि ये ग्रह सभी के बुरे ही हों।

उज्जैन. कुछ शुभ ग्रहों के प्रभाव में आकर और अच्छी स्थिति में होने पर ये व्यक्ति को महाधनवान बनाते हैं और राजपद भी दिलवाते हैं। इन्हीं में एक ग्रह है राहु, जिसे आकस्मिकता का ग्रह कहा जाता है। जानिए किस ग्रह के साथ मिलकर राहु कौन-सा शुभ योग बनाता है…

अष्टलक्ष्मी योग

- राहु के कारण बनने वाला यह अत्यंत शुभ योग होता है। जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु छठे भाव में हो और केंद्र स्थान (पहले, चौथे, सातवें, दसवें) में से किसी में बृहस्पति हो तो अष्टलक्ष्मी योग बनता है।
- कुछ विद्वान राहु के छठे और बृहस्पति के केवल दशम स्थान में होने पर अष्टलक्ष्मी योग बनना मानते हैं। यह योग जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है, वह महा धनवान बनता है।
- ऐसे व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं रहती। बृहस्पति के प्रभाव से राहु शुभ फल देकर जातक को धनवान बनाता है।

लग्नकारक योग

- अपने नाम के अनुरूप यह योग लग्न के अनुसार बनता है। जिस व्यक्ति का मेष, वृषभ या कर्क लग्न हो और राहु दूसरे, नौवें या दसवें भाव में हो तो लग्नकारक योग बनता है।
इस योग को सर्वारिष्ट निवारक योग भी कहा जाता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में कभी बुरी स्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता। व्यक्ति धनवान तो होता ही है, उसका निजी जीवन भी अत्यंत सुखमय होता है।

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